Wednesday, October 8, 2025

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शीर्ष अदालत ने कुछ प्रावधानों पर रोक के साथ वक्फ कानून को रखा बरकरार

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि बोर्ड में तीन से ज्यादा गैर मुस्लिम सदस्यों को नहीं लेना है, इस पर रोक लगी है, इसके अलावा वक्फ एक्ट के अनुच्छेद 3(74) पर भी रोक लगा दी गई है।

नई दिल्ली, 15 सितम्बर (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून को लेकर अहम फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने वक्फ संशोधन कानून से जुड़े कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने कानून के संबंध में अहम टिप्पणियां भी की। सर्वोच्च अदालत ने जोर देकर कहा है कि पूरे कानून को रोकने का अधिकार उसके पास नहीं है। लेकिन सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तीन धाराओं पर जरूर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि बोर्ड में तीन से ज्यादा गैर मुस्लिम सदस्यों को नहीं लेना है, इस पर रोक लगी है। इसके अलावा वक्फ एक्ट के अनुच्छेद 3(74) पर भी रोक लगा दी गई है।
*वक्फ कानून के तीन प्रावधानों पर रोक?*
वक्फ कानून के तहत पहले वही मुस्लिम शख्स अपनी प्रॉपर्टी को वक्फ घोषित कर सकता है जो पांच सालों तक इस्लाम का पालन कर रहा होगा। लेकिन कानून के इस प्रावधन पर भी सुप्रीम कोर्ट ने अभी के लिए रोक लगा दी है। तर्क दिया गया है कि राज्यों को पहले अपने स्तर पर नियम बनाने की जरूरत है जिससे यह तय हो सके कि किसे मुस्लिम माना जा रहा है या नहीं। इसके अलावा धारा 3(74) से जुड़े राजस्व रिकॉर्ड के प्रावधान पर भी फिलहाल रोक रहने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा है कि कार्यपालिका किसी भी व्यक्ति के अधिकारों का निर्धारण नहीं कर सकती है। वैसे कोर्ट ने एक प्रावधान को सही भी माना है, साफ कहा गया है कि वक्प प्रॉपर्टीज को रजिस्टर करवाना होगा, पहले वाले कानून में भी यह प्रावधान था। वैसे सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा है कि कोशिश रहनी चाहिए कि बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुस्लिम ही हो।
अदालत ने यह भी कहा है कि उनका यह आदेश इस एक्ट की वैधता पर उसकी अंतिम राय नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इनमें से कुछ प्रावधान शक्ति के ‘मनमाने’ प्रयोग को बढ़ावा देंगे। सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने कहा कि पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं बनता, लेकिन ‘कुछ धाराओं को संरक्षण की आवश्यकता है। नए कानून में जिला कलेक्टर को दी गई व्यापक शक्तियों पर चिंता जताते हुए, अदालत ने कहा कि कलेक्टर को नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों का न्याय करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। साथ ही यह शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब तक ट्रिब्यूनल की तरफ से निर्णय नहीं हो जाता, तब तक किसी भी पक्ष के विरुद्ध किसी तीसरे पक्ष के अधिकार का सृजन नहीं किया जा सकता। कलेक्टर को ऐसी शक्तियों से संबंधित प्रावधान पर रोक रहेगी।
*सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें*
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की उस प्रावधान पर रोक जिसके तहत किसी व्यक्ति को वक्फ बनाने के लिए कम से कम 5 वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना अनिवार्य था। जांच शुरू होने के बाद से लेकर अंतिम निर्णय तक और हाई कोर्ट के आगे के आदेशों के अधीन- तीसरे पक्ष के संपत्ति अधिकार नहीं बनाए जाएंगे। स्टेट वक्फ बोर्ड के कुल 11 सदस्यों में में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे। सेंट्रल वक्फ काउंसिल में कुल मिलाकर 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते। शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी भी कानून की संवैधानिक वैधता का अनुमान उसके पक्ष में ही होता है। केवल अत्यंत दुर्लभ मामलों में ही पूरे कानून पर रोक लगाई जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकार तय नहीं कर सकता, यह ट्रिब्यूनल का काम है।
वक्फ संपत्ति के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था पहले भी 1995 से 2013 तक लागू थी और अब दोबारा लागू की गई है। कोर्ट ने कहा कि नामित अधिकारी का राजस्व अभिलेखों में चुनौती देना और कलेक्टर को संपत्ति के अधिकार निर्धारित करने का अधिकार देना- शक्तियों के पृथक्करण के खिलाफ है। जब तक शीर्षक तय नहीं होता, वक्फ से संपत्ति का कब्ज़ा नहीं छीना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून की धारा 23 को भी स्थगित किया जिसमें कहा गया था कि पदेन अधिकारी मुस्लिम समुदाय से होना अनिवार्य है। इस तरह शीर्ष अदालत ने वक्फ संशोधन कानून, 2025 की धारा 3(r), धारा 2(सी), धारा 3 (सी) और धारा 23 को स्थगित किया है।
*वक्फ बाय यूज़’ पर नहीं मिली राहत*
वक्फ जमीनों को लेकर जो पुराना कानून था, वह कहता था कि अगर कोई जमीन लंबे समय से वक्फ द्वारा ही इस्तेमाल की जा रही है तो उसे वक्फ का माना जा सकता है. तब अगर जरूरी कागज़ात नहीं भी होते थे, तब भी उस जमीन को वक्फ का मान लिया जाता था. लेकिन, अब जब नया कानून आया है, इसमें इस शब्द को ही हटा दिया गया है.
अगर कोई प्रॉपर्टी वक्फ की नहीं है तो उसे संदिग्ध माना जाएगा. यह तर्क नहीं दिया जा सकेगा कि क्योंकि पहले से ही इस प्रॉपर्टी पर वक्फ काम कर रहा था, तो इस पर अधिकार भी उनका ही रहेगा. मुस्लिम समुदाय ‘वक्फ बाई यूज़’ को बनाए रखने के पक्ष में था, जिसके लिए वक्फ कानून में रोक लगाने की मांग कर रहा था. कोर्ट ने इस पर कोई बदलाव नहीं किया. किसी वक्फ संपत्ति का अगर कागज़ात नहीं होगा तो वह वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी.
*अदालत के फैसले से सभी पक्षकार खुश*
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को मुस्लिम पक्षकारों ने भी सराहा और कानून के समर्थक हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं ने भी संतोषजनक बताया. निर्णय सुनने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कांग्रेस नेता और शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि अंतरिम निर्णय बहुत राहत देने वाला है। वक्फ की संपत्तियों पर अब कोई खतरा नहीं.
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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शीर्ष अदालत ने कुछ प्रावधानों पर रोक के साथ वक्फ कानून को रखा बरकरार

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि बोर्ड में तीन से ज्यादा गैर मुस्लिम सदस्यों को नहीं लेना है, इस पर रोक लगी है, इसके अलावा वक्फ एक्ट के अनुच्छेद 3(74) पर भी रोक लगा दी गई है।

नई दिल्ली, 15 सितम्बर (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून को लेकर अहम फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने वक्फ संशोधन कानून से जुड़े कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने कानून के संबंध में अहम टिप्पणियां भी की। सर्वोच्च अदालत ने जोर देकर कहा है कि पूरे कानून को रोकने का अधिकार उसके पास नहीं है। लेकिन सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तीन धाराओं पर जरूर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि बोर्ड में तीन से ज्यादा गैर मुस्लिम सदस्यों को नहीं लेना है, इस पर रोक लगी है। इसके अलावा वक्फ एक्ट के अनुच्छेद 3(74) पर भी रोक लगा दी गई है।
*वक्फ कानून के तीन प्रावधानों पर रोक?*
वक्फ कानून के तहत पहले वही मुस्लिम शख्स अपनी प्रॉपर्टी को वक्फ घोषित कर सकता है जो पांच सालों तक इस्लाम का पालन कर रहा होगा। लेकिन कानून के इस प्रावधन पर भी सुप्रीम कोर्ट ने अभी के लिए रोक लगा दी है। तर्क दिया गया है कि राज्यों को पहले अपने स्तर पर नियम बनाने की जरूरत है जिससे यह तय हो सके कि किसे मुस्लिम माना जा रहा है या नहीं। इसके अलावा धारा 3(74) से जुड़े राजस्व रिकॉर्ड के प्रावधान पर भी फिलहाल रोक रहने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा है कि कार्यपालिका किसी भी व्यक्ति के अधिकारों का निर्धारण नहीं कर सकती है। वैसे कोर्ट ने एक प्रावधान को सही भी माना है, साफ कहा गया है कि वक्प प्रॉपर्टीज को रजिस्टर करवाना होगा, पहले वाले कानून में भी यह प्रावधान था। वैसे सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा है कि कोशिश रहनी चाहिए कि बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुस्लिम ही हो।
अदालत ने यह भी कहा है कि उनका यह आदेश इस एक्ट की वैधता पर उसकी अंतिम राय नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इनमें से कुछ प्रावधान शक्ति के ‘मनमाने’ प्रयोग को बढ़ावा देंगे। सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने कहा कि पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं बनता, लेकिन ‘कुछ धाराओं को संरक्षण की आवश्यकता है। नए कानून में जिला कलेक्टर को दी गई व्यापक शक्तियों पर चिंता जताते हुए, अदालत ने कहा कि कलेक्टर को नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों का न्याय करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। साथ ही यह शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब तक ट्रिब्यूनल की तरफ से निर्णय नहीं हो जाता, तब तक किसी भी पक्ष के विरुद्ध किसी तीसरे पक्ष के अधिकार का सृजन नहीं किया जा सकता। कलेक्टर को ऐसी शक्तियों से संबंधित प्रावधान पर रोक रहेगी।
*सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें*
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की उस प्रावधान पर रोक जिसके तहत किसी व्यक्ति को वक्फ बनाने के लिए कम से कम 5 वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना अनिवार्य था। जांच शुरू होने के बाद से लेकर अंतिम निर्णय तक और हाई कोर्ट के आगे के आदेशों के अधीन- तीसरे पक्ष के संपत्ति अधिकार नहीं बनाए जाएंगे। स्टेट वक्फ बोर्ड के कुल 11 सदस्यों में में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे। सेंट्रल वक्फ काउंसिल में कुल मिलाकर 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते। शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी भी कानून की संवैधानिक वैधता का अनुमान उसके पक्ष में ही होता है। केवल अत्यंत दुर्लभ मामलों में ही पूरे कानून पर रोक लगाई जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकार तय नहीं कर सकता, यह ट्रिब्यूनल का काम है।
वक्फ संपत्ति के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था पहले भी 1995 से 2013 तक लागू थी और अब दोबारा लागू की गई है। कोर्ट ने कहा कि नामित अधिकारी का राजस्व अभिलेखों में चुनौती देना और कलेक्टर को संपत्ति के अधिकार निर्धारित करने का अधिकार देना- शक्तियों के पृथक्करण के खिलाफ है। जब तक शीर्षक तय नहीं होता, वक्फ से संपत्ति का कब्ज़ा नहीं छीना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून की धारा 23 को भी स्थगित किया जिसमें कहा गया था कि पदेन अधिकारी मुस्लिम समुदाय से होना अनिवार्य है। इस तरह शीर्ष अदालत ने वक्फ संशोधन कानून, 2025 की धारा 3(r), धारा 2(सी), धारा 3 (सी) और धारा 23 को स्थगित किया है।
*वक्फ बाय यूज़’ पर नहीं मिली राहत*
वक्फ जमीनों को लेकर जो पुराना कानून था, वह कहता था कि अगर कोई जमीन लंबे समय से वक्फ द्वारा ही इस्तेमाल की जा रही है तो उसे वक्फ का माना जा सकता है. तब अगर जरूरी कागज़ात नहीं भी होते थे, तब भी उस जमीन को वक्फ का मान लिया जाता था. लेकिन, अब जब नया कानून आया है, इसमें इस शब्द को ही हटा दिया गया है.
अगर कोई प्रॉपर्टी वक्फ की नहीं है तो उसे संदिग्ध माना जाएगा. यह तर्क नहीं दिया जा सकेगा कि क्योंकि पहले से ही इस प्रॉपर्टी पर वक्फ काम कर रहा था, तो इस पर अधिकार भी उनका ही रहेगा. मुस्लिम समुदाय ‘वक्फ बाई यूज़’ को बनाए रखने के पक्ष में था, जिसके लिए वक्फ कानून में रोक लगाने की मांग कर रहा था. कोर्ट ने इस पर कोई बदलाव नहीं किया. किसी वक्फ संपत्ति का अगर कागज़ात नहीं होगा तो वह वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी.
*अदालत के फैसले से सभी पक्षकार खुश*
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को मुस्लिम पक्षकारों ने भी सराहा और कानून के समर्थक हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं ने भी संतोषजनक बताया. निर्णय सुनने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कांग्रेस नेता और शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि अंतरिम निर्णय बहुत राहत देने वाला है। वक्फ की संपत्तियों पर अब कोई खतरा नहीं.
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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