Tuesday, October 28, 2025

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सरकार ने राजस्थान,मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में अफीम पोस्त की खेती के लिए लाइसेंसिंग नीति की घोषणा की

केंद्र सरकार चिकित्सा और उपशामक देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एल्कलॉइड की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।

नई दिल्ली, 12 सितम्बर 2025 (यूटीएन)। केंद्र सरकार ने आज मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए अफीम पोस्त की खेती के लाइसेंस संबंधी वार्षिक लाइसेंसिंग नीति की घोषणा की। यह नीति 1 अक्टूबर, 2025 से 30 सितंबर, 2026 फसल वर्ष के दौरान जारी रहेगी। नीति की सामान्य शर्तों के अनुसार, इन राज्यों में लगभग 1.21 लाख किसान अफीम की खेती के लाइसेंस प्राप्त करने के पात्र है। यह पिछले फसल वर्ष में जारी किए गए लाइसेंसों की संख्या से 23.5 प्रतिशत अधिक है । इस प्रकार लगभग 15,000 अतिरिक्त किसान इस नीति से जुड़े है, जिन्हें इस वर्ष अफीम की खेती से लाभ मिलने की उम्मीद है। केंद्र सरकार चिकित्सा और उपशामक देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एल्कलॉइड की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। इसके साथ ही, आवश्यक मादक औषधियों के उत्पादन हेतु एल्कलॉइड की आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से, स्वदेशी और आत्मनिर्भर उपायों के माध्यम से प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने के प्रयास जारी हैं।
*वार्षिक लाइसेंस नीति की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं*
मौजूदा अफीम गोंद उत्पादकों को बनाए रखना जिन्होंने प्रति हेक्टेयर 4.2 किलोग्राम या उससे अधिक औसत मॉर्फिन उपज (एमक्यूवाई-एम) हासिल की है 3.0 किलोग्राम से 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के बीच मॉर्फिन उपज वाले मौजूदा अफीम गोंद उत्पादक अब पांच साल की लाइसेंस वैधता के साथ, पोस्ता भूसा सांद्रण (सीपीएस) विधि के तहत चीरा लगाए बिना पोस्ता भूसे की खेती करने के पात्र हैं। इसके अलावा, 1995-96 से किसानों की संख्या के कंप्यूटराइजड रिकॉर्ड (डिजिटलीकरण) से समावेशिता बढ़ी है, जिससे पिछले वर्षों के सीमांत किसानों को निर्धारित पात्रता और शिथिल मानदंडों को पूरा करके लाइसेंस प्राप्त करने में मदद मिली है।
सरकार का बेहतर प्रदर्शन करने वाले उन किसानों को प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव है, जिन्होंने 900 किलोग्राम/हेक्टेयर या उससे अधिक अफीम की उपज प्राप्त की है, और उन्हें अफीम गोंद की खेती की पारंपरिक विधि अपनाने का विकल्प प्रदान करती है। इस बदलाव का उद्देश्य उनकी जोतों से अफीम की अधिक पैदावार को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही यह खेत से अफीम के अन्य स्रोतों के उपयोग के जोखिम को कम करने के लिए एक सकारात्मक सुदृढ़ीकरण तंत्र के रूप में भी कार्य करेगा। सरकार सीपीएस खेती के तहत फसल वर्ष 2025-26 के लिए उन किसानों के लाइसेंस निलंबित करेगी, जिन्होंने पिछले फसल वर्ष (2024-25) के दौरान 800 किलोग्राम/हेक्टेयर की निर्धारित न्यूनतम योग्यता उपज (एमक्यूवाई) को पूरा नहीं किया था।
सरकार अपने अफीम और अल्कलॉइड कारखानों की क्षमता बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष, नीमच स्थित सरकारी अल्कलॉइड कारखाने को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से जीएमपी प्रमाणन प्राप्त हुआ है। इस नीति का उद्देश्य सरकारी नियंत्रित अल्कलॉइड इकाइयों के लिए आत्मनिर्भरता को संतुलित करने के साथ अल्कलॉइड एपीआई और फॉर्मूलेशन में भारतीय दवा कंपनियों को सहयोग प्रदान करना है। उनकी तकनीकी विशेषज्ञता और ब्रांड विश्वसनीयता का लाभ उठाकर, इस पहल का उद्देश्य “मेक फॉर वर्ल्ड” विजन को बढ़ावा देना है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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सरकार ने राजस्थान,मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में अफीम पोस्त की खेती के लिए लाइसेंसिंग नीति की घोषणा की

केंद्र सरकार चिकित्सा और उपशामक देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एल्कलॉइड की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।

नई दिल्ली, 12 सितम्बर 2025 (यूटीएन)। केंद्र सरकार ने आज मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए अफीम पोस्त की खेती के लाइसेंस संबंधी वार्षिक लाइसेंसिंग नीति की घोषणा की। यह नीति 1 अक्टूबर, 2025 से 30 सितंबर, 2026 फसल वर्ष के दौरान जारी रहेगी। नीति की सामान्य शर्तों के अनुसार, इन राज्यों में लगभग 1.21 लाख किसान अफीम की खेती के लाइसेंस प्राप्त करने के पात्र है। यह पिछले फसल वर्ष में जारी किए गए लाइसेंसों की संख्या से 23.5 प्रतिशत अधिक है । इस प्रकार लगभग 15,000 अतिरिक्त किसान इस नीति से जुड़े है, जिन्हें इस वर्ष अफीम की खेती से लाभ मिलने की उम्मीद है। केंद्र सरकार चिकित्सा और उपशामक देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एल्कलॉइड की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। इसके साथ ही, आवश्यक मादक औषधियों के उत्पादन हेतु एल्कलॉइड की आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से, स्वदेशी और आत्मनिर्भर उपायों के माध्यम से प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने के प्रयास जारी हैं।
*वार्षिक लाइसेंस नीति की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं*
मौजूदा अफीम गोंद उत्पादकों को बनाए रखना जिन्होंने प्रति हेक्टेयर 4.2 किलोग्राम या उससे अधिक औसत मॉर्फिन उपज (एमक्यूवाई-एम) हासिल की है 3.0 किलोग्राम से 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के बीच मॉर्फिन उपज वाले मौजूदा अफीम गोंद उत्पादक अब पांच साल की लाइसेंस वैधता के साथ, पोस्ता भूसा सांद्रण (सीपीएस) विधि के तहत चीरा लगाए बिना पोस्ता भूसे की खेती करने के पात्र हैं। इसके अलावा, 1995-96 से किसानों की संख्या के कंप्यूटराइजड रिकॉर्ड (डिजिटलीकरण) से समावेशिता बढ़ी है, जिससे पिछले वर्षों के सीमांत किसानों को निर्धारित पात्रता और शिथिल मानदंडों को पूरा करके लाइसेंस प्राप्त करने में मदद मिली है।
सरकार का बेहतर प्रदर्शन करने वाले उन किसानों को प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव है, जिन्होंने 900 किलोग्राम/हेक्टेयर या उससे अधिक अफीम की उपज प्राप्त की है, और उन्हें अफीम गोंद की खेती की पारंपरिक विधि अपनाने का विकल्प प्रदान करती है। इस बदलाव का उद्देश्य उनकी जोतों से अफीम की अधिक पैदावार को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही यह खेत से अफीम के अन्य स्रोतों के उपयोग के जोखिम को कम करने के लिए एक सकारात्मक सुदृढ़ीकरण तंत्र के रूप में भी कार्य करेगा। सरकार सीपीएस खेती के तहत फसल वर्ष 2025-26 के लिए उन किसानों के लाइसेंस निलंबित करेगी, जिन्होंने पिछले फसल वर्ष (2024-25) के दौरान 800 किलोग्राम/हेक्टेयर की निर्धारित न्यूनतम योग्यता उपज (एमक्यूवाई) को पूरा नहीं किया था।
सरकार अपने अफीम और अल्कलॉइड कारखानों की क्षमता बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष, नीमच स्थित सरकारी अल्कलॉइड कारखाने को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से जीएमपी प्रमाणन प्राप्त हुआ है। इस नीति का उद्देश्य सरकारी नियंत्रित अल्कलॉइड इकाइयों के लिए आत्मनिर्भरता को संतुलित करने के साथ अल्कलॉइड एपीआई और फॉर्मूलेशन में भारतीय दवा कंपनियों को सहयोग प्रदान करना है। उनकी तकनीकी विशेषज्ञता और ब्रांड विश्वसनीयता का लाभ उठाकर, इस पहल का उद्देश्य “मेक फॉर वर्ल्ड” विजन को बढ़ावा देना है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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