नई दिल्ली, 10 सितम्बर (यूटीएन)। घरेलू उद्योगों के साथ वैश्विक नेता के रूप में भारत के बढ़ते कद की पुष्टि करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला आज कहा कि देश की विशाल जनसंख्या, मज़बूत औद्योगिक आधार और नवाचार की क्षमता इसकी सबसे बड़ी ताकत हैं। लोकसभा अध्यक्ष ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इन विशेषताओं ने, देश के लोगों की उद्यमशीलता की भावना के साथ मिलकर, भारत को अभूतपूर्व अवसरों की दहलीज़ पर खड़ा कर दिया है, जिससे यह विश्व मंच पर नेतृत्व और गतिशीलता दिखाने का “भारत का क्षण” बन गया है। ओम बिरला ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में एल्युमीनियम एक्सट्रूडेड उत्पादों के वैश्विक सम्मेलन और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी – एल्युमेक्स इंडिया 2025 का उद्घाटन करते हुए ये बातें कहीं। भारत की विकास गाथा में एल्युमीनियम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बिरला ने कहा कि इसकी बहुमुखी प्रतिभा और विभिन्न उद्योगों में व्यापक अनुप्रयोग इसे विकास को गति देने की अपार क्षमता प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि इसकी पुनर्चक्रणीय प्रकृति, एल्युमीनियम को स्वच्छ ऊर्जा और हरित पहलों के लिए केंद्रीय बनाती है, जो पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के साथ पूरी तरह मेल खाती है।

लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि एमएसएमई क्षेत्र और इसे संचालित करने वाले लोग देश की सबसे बड़ी संपत्तियों में से एक बन गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा व्यक्त आत्मनिर्भर भारत के परिवर्तनकारी दृष्टिकोण ने क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं, और “मेक इन इंडिया” पहल अब स्पष्ट परिणाम दे रही है। उन्होंने बताया कि भारतीय उत्पाद और नवाचार न केवल घरेलू ज़रूरतों को पूरा कर रहे हैं, बल्कि दुनिया भर में तेज़ी से निर्यात भी हो रहे हैं। बिरला ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस तरह के वैश्विक सम्मेलन उद्योग जगत के नेताओं, शोधकर्ताओं और नवप्रवर्तकों को सहयोग करने, ज्ञान साझा करने और नई तकनीकों की खोज के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करते हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि तेज़ी से बदलते वैश्विक परिवेश में, नवाचार को प्रतिस्पर्धात्मकता की प्रेरक शक्ति बने रहना चाहिए।
भारत के युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि स्टार्टअप, अत्याधुनिक अनुसंधान और डिजिटल समाधान एल्युमीनियम सहित उद्योगों को नया रूप दे रहे हैं और दूरगामी सामाजिक और आर्थिक परिणाम उत्पन्न कर रहे हैं। बिरला ने विश्वास व्यक्त किया कि एल्युमेक्स इंडिया 2025 भारत के एल्युमीनियम क्षेत्र को मज़बूत बनाने, टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने और 2047 तक एक विकसित, आत्मनिर्भर और विश्व स्तर पर सम्मानित भारत के निर्माण के राष्ट्रीय संकल्प को आगे बढ़ाने में सार्थक योगदान देगा। भारतीय एल्युमीनियम एक्सट्रूज़न निर्माता संघ द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम अग्रणी कंपनियों, स्टार्टअप्स, व्यापारियों और उद्योग विशेषज्ञों को नवीनतम तकनीकों का प्रदर्शन करने, सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने और एल्युमीनियम उद्योग में भविष्य के अवसरों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ लाता है। नवाचार और स्थिरता पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए, इस प्रदर्शनी और सम्मेलन का उद्देश्य इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की भविष्य की दिशा निर्धारित करना है।
एल्युमीनियम एक्सट्रूज़न इंडस्ट्रीज से संबंधित देश की पहली “एल्यूमैक्स इंडिया 2025” प्रदर्शनी वास्तव में, घरेलू एल्युमीनियम एक्सट्रूज़न उद्योग के लिए व्यापार विस्तरण और वैश्विक अवसरों का बेहतरीन मंच प्रदान करती है। एल्युमीनियम एक्सट्रूज़न मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित इस इवेंट में, एल्युमीनियम मूल्य श्रृंखला के 200 से ज़्यादा प्रदर्शक भाग ले रहे हैंऔर लगभग 25,000 बिजनेस विजीटर्स शामिल होंगे। इस चार दिवसीय प्रदर्शनी में भारत के एल्युमीनियम एक्सट्रूज़न उद्योग के लिए अवसरों, चुनौतियों और भविष्य की रूपरेखा पर फोकस किया जाएगा। वार्षिक 3 मिलियन की स्थापित क्षमता के बावजूद, घरेलू उत्पादन केवल 1.2 मिलियन टन है, जबकि शेष का आयात होता है। इसका मुख्य कारण कीमतों में अंतर, मुक्त व्यापार समझौते में रियायतें और, चीन, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया और कंबोडिया जैसे आसियान देशों से सस्ता आयात है।
इसके अलावा हाल ही में अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाए जाने से भी घरेलू उत्पादकों की हालत और खराब हो गई है। उद्घाटन समारोह में, अलेमाई के अध्यक्ष जितेंद्र चोपड़ा ने कहा कि भविष्य में”इस प्रदर्शनी का नाम बदलकर ‘एल्युमीनियम भारत’ रखा जाएगा। यह केवल एल्युमीनियम एक्सट्रूज़न क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा, किन्तु इसमें रोल्ड उत्पादों और वायर रॉड से लेकर ऑटो कास्टिंग तक, सभी क्षेत्र और उत्पाद शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि एल्यूमैक्स इंडिया, एक्सट्रूज़न उद्योग के लिए एक समर्पित सेगमेंट के रूप में जारी रहेगा, लेकिन ‘एल्युमीनियम भारत’ पूरे एल्युमीनियम ईकोसिस्टेम को एक मंच पर लाएगा और इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करेगा।” चोपड़ा ने आगे कहा कि इस प्रदर्शनी का मूल उद्देश्य एल्यूमीनियम आयात पर निर्भरता को कम करने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी मूल्य श्रृंखला के निर्माण में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के प्रति उनकी प्रतिबद्धता दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि एल्युमीनियम क्षेत्र आज भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 2% का योगदान देता है। यह हल्का, बहुमुखी और असीमित पुनः उपयोग करने योग्य है। परिवहन एवं निर्माण से लेकर रक्षा, पैकेजिंग और नवीकरणीय ऊर्जा तक, इसका अनेक क्षेत्रों में उपयोग होता हैं। एल्युमीनियम भारत की शुद्ध शून्य उत्सर्जन की आकांक्षाओं और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता का केंद्रबिंदु है। हालांकि, हमारी प्रति व्यक्ति खपत केवल 3.5 किलोग्राम है, जबकि वैश्विक औसत 17-18 किलोग्राम है। हाल में अनेक उद्योगों में इसका महत्व और इस्तेमाल बढा है। एल्युमीनियम उद्योग की भूमिका पहले कभी इतनी महत्वपूर्ण नहीं रही। वर्ष 2047 तक इसकी मांग में छह गुना वृद्धि की उम्मीद है। चोपड़ा ने एक्सट्रूज़न डाउनस्ट्रीम मूल्यवर्धित उत्पादों को एफटीए से हटाने, नाल्को जैसे घरेलू उत्पादकों से बिलेट्स तक अधिक पहुंच और स्थानीय उत्पादन को मज़बूत करने के लिए लक्षित नीतियां लागू करने की मांग की है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।