नई दिल्ली, 04 सितम्बर (यूटीएन)। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क दुर्घटनाओं के खिलाफ भारत की लड़ाई में सबसे बड़ी बाधा के रूप में बदलते मानवीय व्यवहार को स्वीकार करते हुए, जन सहयोग की अभूतपूर्व अपील की। उन्होंने दुर्घटना पीड़ितों के लिए ₹1.5 लाख के बीमा कवरेज की घोषणा की, जिन्हें सात दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने की आवश्यकता होती है। फिक्की सड़क सुरक्षा पुरस्कार एवं संगोष्ठी के सातवें संस्करण में बोलते हुए मंत्री गडकरी ने स्वीकार किया कि व्यापक नीतिगत सुधारों और बुनियादी ढाँचे में सुधार के बावजूद, भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या को कम करने के सरकारी प्रयास उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं। देश में हर साल लगभग पाँच लाख सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं, जिनमें 1.8 लाख लोगों की जान जाती है और अर्थव्यवस्था को सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत का नुकसान होता है। गडकरी ने इस कार्यक्रम में उद्योग जगत के नेताओं और नीति निर्माताओं से कहा, “हम ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग और सिविल इंजीनियरिंग में सुधार लाने और सड़क सुरक्षा कानूनों को सख्त बनाने में सफल रहे हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम मानव व्यवहार को बदलने में सफल नहीं हुए हैं।

उन्होंने आगे कहा, “यह हमारी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। यह आकलन दुर्घटना पीड़ितों के लिए व्यापक वित्तीय सहायता की घोषणा के साथ आया है, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य सड़कों, नगरपालिका सड़कों और ग्रामीण सड़कों पर नए बीमा कवरेज लागू होंगे। गडकरी ने आपातकालीन स्थितियों में नागरिक प्रतिक्रिया की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया और दुर्घटना पीड़ितों की सहायता करने वाले नेक लोगों के लिए ₹25,000 की इनामी योजना की घोषणा की। उन्होंने कहा, “अगर हर नागरिक सड़क दुर्घटनाओं पर तुरंत प्रतिक्रिया दे और पीड़ितों को बिना देरी किए अस्पताल पहुँचाए, तो हम हर साल 50,000 लोगों की जान बचा सकते हैं। मंत्री ने खुलासा किया कि व्यापक सुरक्षा उपायों को लागू करने के बावजूद—जिसमें सभी प्रकार के वाहनों में अनिवार्य छह एयरबैग, दोपहिया वाहनों की खरीद पर अनिवार्य रूप से दो हेलमेट का प्रावधान, वाणिज्यिक ट्रकों के लिए नींद आने का पता लगाने वाले उपकरण और गति का पता लगाने वाले 40,000 से ज़्यादा सीसीटीवी कैमरे शामिल हैं—मृत्यु दर में वृद्धि जारी है। फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि भारत में 2023 में 4.8 लाख सड़क दुर्घटनाएँ दर्ज की गईं, जो 2022 की तुलना में कुल दुर्घटनाओं में 4.2 प्रतिशत और मौतों में 2.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती हैं।
अग्रवाल ने कहा, “सड़क सुरक्षा अब केवल नियामकीय मामला नहीं रह गया है – यह एक आवश्यक आर्थिक, सामाजिक और विकासात्मक प्राथमिकता बन गई है।” उन्होंने यह भी बताया कि भारत का सड़क नेटवर्क 90 प्रतिशत से अधिक यात्रियों और लगभग 65 प्रतिशत माल ढुलाई का काम करता है। पुरस्कार समारोह के दौरान, मंत्री महोदय ने इंजीनियरिंग, शिक्षा, प्रवर्तन और आपातकालीन देखभाल श्रेणियों में चार संगठनों को सम्मानित किया। मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड को प्रवर्तन और आपातकालीन देखभाल श्रेणी के अंतर्गत चालक प्रशिक्षण और आपातकालीन प्रतिक्रिया कार्यक्रमों के लिए दोहरे पुरस्कार मिले। सवितर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को एकीकृत ऑटोमोटिव समाधानों के लिए मान्यता मिली। अशोक लीलैंड लिमिटेड को शिक्षा श्रेणी के अंतर्गत चालक प्रशिक्षण और जागरूकता गतिविधियों के लिए सम्मानित किया गया। सड़क सुरक्षा पर सर्वोच्च न्यायालय की समिति के सदस्य और निर्णायक मंडल के अध्यक्ष संजय बंदोपाध्याय ने कहा कि पुरस्कार मानदंड मापनीय प्रभाव और दोहराव पर केंद्रित थे।
120 प्रारंभिक प्रविष्टियों में से, विजेताओं का चयन प्रदर्शित प्रभावशीलता और राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार की क्षमता आदि के आधार पर किया गया। गडकरी ने सरकार, उद्योग, गैर-सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों और नागरिक समाज के बीच समन्वित कार्रवाई का आह्वान किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि केवल तकनीकी समाधान ही इस संकट का समाधान नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, “जब तक मानव व्यवहार नहीं बदलेगा, हम इस मिशन में सफल नहीं होंगे।
उन्होंने प्रत्येक भारतीय नागरिक से “विज़न ज़ीरो” पहल के तहत संवेदनशील, अनुशासित और यातायात नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध होने का आग्रह किया, जिसका उद्देश्य रोके जा सकने वाली सड़क दुर्घटनाओं को कम करना है। सड़क सुरक्षा पर फिक्की उप-समिति के अध्यक्ष और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सामाजिक सुरक्षा फेलो रमा शंकर पांडे ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर, मंत्री ने फिक्की-क्रिसिल नॉलेज रिपोर्ट ‘सुरक्षित सड़कों की ओर: भारत के सड़क सुरक्षा परिदृश्य की पुनर्कल्पना’ और ‘भारत में सड़क सुरक्षा में अग्रणी सर्वोत्तम प्रथाओं’ (2025) पर संग्रह का भी अनावरण किया।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।


