नई दिल्ली, 29 जुलाई 2025 (यूटीएन)। देश में साइबर क्राइम की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। साल 2021 में साइबर क्राइम के 452429 लाख मामले सामने आए थे। इससे अगले वर्ष 2022 में इन केसों में बड़ा उछाल देखने को मिला। उस साल साइबर अपराध की 1029026 घटनाएं हुई। साल 2023 में इन घटनाओं में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो गई। साइबर क्राइम के 1596493 मामले दर्ज हुए। 2024 में ये घटनाएं 22 लाख के पार हो गई। यानी पिछले साल 2268346 केस देखने को मिले। अगर चार साल यानी 1460 दिनों का लेखा जोखा देखें तो 2021 से 2024 तक साइबर क्राइम के 5346294 मामले देखने को मिले हैं। रोजाना साइबर क्राइम की लगभग 3661 घटनाएं होती रही हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश में सभी प्रकार के साइबर अपराधों से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए एक संलग्न कार्यालय के रूप में ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ की स्थापना की है।
आई4सी के एक भाग के रूप में, ‘राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल’ लॉन्च किया गया है, ताकि जनता सभी प्रकार के साइबर अपराधों से संबंधित घटनाओं की रिपोर्ट कर सके, जिसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों पर विशेष ध्यान दिया गया है। आई4सी के तहत ‘नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली’ को वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और धोखेबाजों द्वारा धन की हेराफेरी को रोकने के लिए वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया था। इससे अब तक 17.82 लाख से अधिक शिकायतों में 5,489 करोड़ रुपये की बचत हुई है। ऑनलाइन साइबर शिकायत दर्ज कराने में सहायता के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ शुरू किया गया है।
गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार के मुताबिक, भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, ‘पुलिस’ और ‘लोक व्यवस्था’ राज्य के विषय हैं। राज्य/संघ राज्य क्षेत्र अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) के माध्यम से साइबर अपराध सहित अन्य अपराधों की रोकथाम, पता लगाने, जाँच और अभियोजन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। केंद्र सरकार, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की पहलों को उनकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के क्षमता निर्माण हेतु विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत परामर्श और वित्तीय सहायता प्रदान करके सहायता प्रदान करती है। साइबर अपराधों से व्यापक और समन्वित तरीके से निपटने के लिए तंत्र को सुदृढ़ करने के मकसद से केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
‘राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल’ पर रिपोर्ट की गई साइबर अपराध की घटनाओं, उन्हें एफआईआर में परिवर्तित करना और उसके बाद की कार्रवाई कानून के प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा की जाती है। आई4सी में एक अत्याधुनिक साइबर धोखाधड़ी शमन केंद्र स्थापित किया गया है, जहाँ प्रमुख बैंकों, वित्तीय मध्यस्थों, भुगतान एग्रीगेटर्स, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, आईटी मध्यस्थों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधि साइबर अपराध से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई और निर्बाध सहयोग के मकसद से, मिलकर काम कर रहे हैं। पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, अब तक भारत सरकार द्वारा 9.42 लाख से अधिक सिम कार्ड और 2,63,348 आईएमईआई ब्लॉक किए जा चुके हैं।
गृह मंत्रालय ने ‘महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध रोकथाम योजना के अंतर्गत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी क्षमता निर्माण, जैसे साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना, कनिष्ठ साइबर सलाहकारों की नियुक्ति और एलईए के कर्मियों, लोक अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है। 33 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। 24,600 से अधिक एलईए कार्मिकों, न्यायिक अधिकारियों और अभियोजकों को साइबर अपराध जागरूकता, जांच, फोरेंसिक आदि पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। आई4सी, गृह मंत्रालय नियमित रूप से सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, क्षमता निर्माण को बढ़ाने आदि के लिए ‘राज्य कनेक्ट’, ‘थाना कनेक्ट’ और सहकर्मी शिक्षण सत्र आयोजित कर रहा है।
राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पुलिस के जांच अधिकारियों (आईओ) को प्रारंभिक चरण की साइबर फोरेंसिक सहायता प्रदान करने के लिए, आई4सी के एक भाग के रूप में, नई दिल्ली में अत्याधुनिक ‘राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच)’ की स्थापना की गई है। अब तक, राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच) ने साइबर अपराधों से जुड़े 12,460 मामलों में राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के एलईए को अपनी सेवाएं प्रदान की हैं। साइबर अपराध जांच, फोरेंसिक, अभियोजन आदि के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम के माध्यम से पुलिस अधिकारियों/न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए आई4सी के तहत ‘साइट्रेन’ पोर्टल नामक बड़े पैमाने पर ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम, प्लेटफॉर्म विकसित किया गया है।
गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि समन्वय प्लेटफ़ॉर्म को प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) प्लेटफ़ॉर्म, डेटा संग्रह और साइबर अपराध डेटा साझाकरण एवं विश्लेषण के लिए एलईए के समन्वय प्लेटफ़ॉर्म के रूप में कार्य करने के लिए चालू किया गया है। यह विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर अपराध की शिकायतों में शामिल अपराधों और अपराधियों के अंतरराज्यीय संपर्कों पर आधारित विश्लेषण प्रदान करता है।
‘प्रतिबिंब’ मॉड्यूल क्षेत्राधिकारियों को दृश्यता प्रदान करने के लिए अपराधियों और अपराध के बुनियादी ढाँचे के स्थानों को मानचित्र पर प्रदर्शित करता है। यह मॉड्यूल कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा आई4सी और अन्य लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) से तकनीकी-कानूनी सहायता प्राप्त करने और प्राप्त करने की सुविधा भी प्रदान करता है। इसके परिणामस्वरूप 10,599 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई है, 26,096 संपर्क स्थापित हुए हैं और 63,019 साइबर जाँच सहायता अनुरोध प्राप्त हुए हैं।
आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 79 की उप-धारा (3) के खंड (बी) के अंतर्गत उपयुक्त सरकार या उसकी एजेंसी द्वारा आईटी मध्यस्थों को नोटिस भेजने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए ‘सहयोग’ पोर्टल शुरू किया गया है ताकि किसी भी गैरकानूनी कार्य को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल की जा रही किसी भी जानकारी, डेटा या संचार लिंक को हटाया या उस तक पहुँच को अक्षम किया जा सके। अब तक, 9 केंद्रीय और 34 राज्य/संघ राज्य क्षेत्र अधिकृत एजेंसियों, 72 आईटी मध्यस्थों और 35 वर्चुअल एसेट सेवा प्रदाताओं (वीएएसपी) को सहयोग पोर्टल पर शामिल किया जा चुका है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।