नई दिल्ली, 24 जुलाई 2025 (यूटीएन)। भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर का स्वागत करते हुए, एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसीसीआई) ने कहा कि यह समझौता दोनों गतिशील देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मज़बूत करने में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। इस समझौते का उद्देश्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 120 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाना और 2040 तक इसे 40 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाना है। यह समझौता व्यापार, निवेश, नवाचार और स्थिरता के क्षेत्र में संबंधों को मज़बूत करने की साझा महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर ने कहा कि भारत-ब्रिटिश मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल बधाई के पात्र हैं।
यह एफटीए भारतीय उद्योग जगत के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव है। एसोचैम का दृढ़ विश्वास है कि यह समझौता न केवल हमारी निर्यात क्षमता और विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देगा, विशेष रूप से वस्त्र और चमड़ा जैसे क्षेत्रों में, बल्कि नवाचार और सेवाओं में विकास के नए रास्ते भी खोलेगा। हम इस समझौते को एक रणनीतिक कदम के रूप में देखते हैं जो भारत के वैश्विक विनिर्माण और ज्ञान केंद्र बनने के दृष्टिकोण के अनुरूप है। एसोचैम के महासचिव मनीष सिंघल ने कहा कि “इस मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के साथ, भारत पारंपरिक और उभरते क्षेत्रों, दोनों में एक विश्वसनीय वैश्विक भागीदार के रूप में अपनी भूमिका की पुष्टि करता है। भारत के स्वास्थ्य और सांस्कृतिक क्षेत्रों को मान्यता मिलने से व्यापार कूटनीति में एक नया आयाम जुड़ता है। एसोचैम इस समझौते और भारत की वैश्विक व्यापार उपस्थिति को बढ़ाने के लिए इसके द्वारा उत्पन्न अवसरों के साथ पूरी तरह से जुड़ा हुआ है।
भारत-ईएफटीए समझौते के तुरंत बाद, जो 1 अक्टूबर, 2025 से लागू होने वाला है, भारत-यूके समझौता भारत के व्यापार परिदृश्य को विकसित करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है। ये समझौते मिलकर भारत के नए वैश्विक व्यापार दृष्टिकोण को दर्शाते हैं, जिससे यूरोपीय संघ और अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौतों के संभावित रास्ते खुलते हैं। भारत-यूके एफटीए भारतीय निर्यात के लिए नए अवसर पैदा करता है, खासकर कपड़ा, चमड़ा और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे प्रमुख श्रम-प्रधान क्षेत्रों में, साथ ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल भुगतान और जलवायु स्थिरता जैसे अगली पीढ़ी के क्षेत्रों में सहयोग के लिए मंच तैयार करता है। टैरिफ में भारी कमी से यूके में भारत की मूल्य प्रतिस्पर्धात्मकता और बाजार हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद है।
उल्लेखनीय रूप से, भारतीय बाजरा और अन्य कृषि उत्पादों को रियायती टैरिफ लाइनों के तहत शामिल करने से भारतीय किसान सशक्त होंगे और टिकाऊ एवं जलवायु-अनुकूल कृषि में भारत के वैश्विक नेतृत्व को बढ़ावा मिलेगा। इस समझौते का एक प्रमुख आकर्षण भारतीय पेशेवरों के लिए यूके के सामाजिक सुरक्षा अंशदान से तीन साल की छूट है। लंबे समय से प्रतीक्षित इस छूट से लागत कम होने और भारतीय प्रतिभाओं की गतिशीलता में सुधार होने की उम्मीद है। यह एफटीए यूके में आयुर्वेद, योग और भारतीय संगीत के लिए द्वार खोलकर, व्यापार को सांस्कृतिक कूटनीति के साथ जोड़कर और भारत के सौम्य प्रभाव की शक्ति को रेखांकित करके भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और कल्याणकारी अर्थव्यवस्था को मान्यता देता है और उसे बढ़ावा देता है।
व्यापार के अलावा, यह एफटीए दोनों देशों को रणनीतिक रूप से भी जोड़ता है। उत्पत्ति के नियमों को सरल बनाकर, बौद्धिक संपदा (आईपी) पर सहयोग को प्रोत्साहित करके और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करके, यह समझौता भविष्य की व्यापार वार्ताओं के लिए एक नया मानदंड स्थापित करता है। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों द्वारा यूके-भारत विज़न 2035 की घोषणा इस संबंध के व्यापक दायरे को रेखांकित करती है।
यह नया विज़न व्यापार से आगे बढ़कर संयुक्त समृद्धि, नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र और प्रस्तावित रक्षा औद्योगिक रोडमैप के माध्यम से एक पुनर्जीवित रक्षा साझेदारी पर केंद्रित है। जैसे-जैसे दुनिया आर्थिक अनिश्चितता से जूझ रही है, भारत-यूके एफटीए लचीले, समावेशी और सतत विकास की दिशा में एक समयोचित और दूरदर्शी कदम का प्रतिनिधित्व करता है। यह न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करता है, बल्कि उभरते व्यापार और भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत को एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।