नई दिल्ली, 16 मार्च 2023 (यूटीएन)। भारत सरकार
ऑनलाइन दवाईयों के बाजार पर नकेल कसने की तैयारी में है. इसे लेकर मंत्रियों का एक पक्ष समर्थन में है. सूत्रों की मानें तो ई फार्मेसी जिस बिजनेस मॉडल का पालन कर रहा है, उससे ऑनलाइन दवाओं का ऑर्डर कर रहे मरीजों के डेटा को खतरा है.भारत में तेजी से बढ़ते ऑनलाइन दवाओं की बिक्री पर फुल स्टॉप लग सकता है. सरकार
ई फार्मेसी के नियमों को लेकर काफी सक्रिय दिख रही है.
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने ऑनलाइन दवाईयां बेच रहे कंपनियों के खिलाफ कारण नोटिस जारी किया है. रिपोर्ट की मानें तो स्वास्थ्य मंत्रालय ऑनलाइन दवाईयां बेचने वाले कंपनियों को रेगुलेट करने के लिए नियम बनाने पर काम कर रहा है. जानकारों का कहना है कि ई फार्मेसी बिजनेस से ताल्लुक रखने वाली कंपनियां उस बिजनेस मॉडल को फॉलो कर रही है जिससे मरीजों के डाटा को खतरा हो सकता है. यह खासकर उन मरीजों के लिए खतरनाक हो सकता है जो ऑनलाइन दवाइयां आर्डर करते हैं. इस फैसले को ग्राहकों की
सिक्योरिटी को दुरुस्त करने के लिए लिया गया है.
*कंपनियों के लिए बनेंगे नए नियम*
आपको बता दें कि भारत सरकार
टाटा1एमजी और नेटमैड्स जैसे ऐप्स पर जल्दी ही पाबंदी लगा सकती है. इस तरह के सख्त फैसले को लेने के पीछे डाटा प्राइवेसी, गलत प्रैक्टिस और दवाओं की बेसलेस सेल का तर्क दिया गया है. डीसीजीआई ने 8 फरवरी को ई-फार्मेसी प्लेटर्फाम को कारण बातओ नोटिस जारी किया था. इसमें प्राटको, अपोलो, अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी दिग्गज कंपनियां भी शामिल थीं.
सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने ई-फार्मेसी
कारोबार ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन पाया है. 20 से ज्यादा ऐसी ई-फार्मेसी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को ये नोटिस सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन द्वारा जारी किया गया है. ऑल इंडियन ओरिजिन केमिस्ट्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स ने केंद्र को इस बारे में पहले ही आगाह किया था. इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि वह नए नियम को लाने की तैयारी में है जिससे
ग्राहकों के गोपनीयता की रक्षा होगी.
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |