नई दिल्ली, 10 अप्रैल 2024 (यूटीएन)। हिंदू नववर्ष और चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। इस मौके पर अयोध्या में रामलला के वस्त्रों की शैली को पहली बार बदला गया है। इस बार राम नवमी के मौके पर अयोध्या के मंदिर में 4 मिनट तक रामलला का सूर्य तिलक होगा। इस मौके पर मंदिर में खास तैयारियां की गई हैं। आइए जानते हैं रामलला के होने वाले सूर्याभिषेक का महत्व क्या है. चैत्र नवरात्रि मंगलवार से शुरू हो चुके हैं और इमी के साथ रामलला के मव्य जन्मोत्सव की तैयारी के लिए विविध अनुष्ठान भी शुरू हो गए हैं।
नवरात्र में रम जन्मभूमि मंदिर में 9 दिन शक्ति की उपासना की जाएगी। नवमी तिथि को मालक गम को 56 प्रकार के व्यंजन का भोग लगाया जाएग। इस बार राम नवमी पर रामलला का सूर्याभिषेक किया जाए। राम नवमी तर 12 बजे अभिजीत मुहूर्त में सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी जिससे बालक रम का सूर्य तिलक भी होगा। पाण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार वस्त्रों में किया गया बदलाव-नवरात्र के पहले दिन से रामनवमी तक बालक राम विशेष प्रकार के नस्त्र नाशण करेंगे। पाण पतिष्य के बाद पहली बर प्रभु के नस्त्रों की शैली को बदला गगा है।
नयूर व अन्य वैष्णव चिन्हों को रंग-बिरंगे रेशम के साथ-साथ अमली तारों से काढ़ा गया है। भगवान राम के वस्त्र खादी कॉटन से निर्मित हैं और वस्त्र पर असली चांदी एवं सोने की हस्त-छपाई की गई है। छपाई में प्रयोग किए हुए सभी चिन्ह वैष्णव पद्धति के हैं। दिन तक चलेंगे अनुष्ठान-नेत्र नवरात्रि के शुभारंभ के साथ ही रामलला के भहन दिव् य जन् मोत् सव की तैयारी के लिए विविध अनुष्ठान शुरू हो गए है। राम जन्मभूमि मंदिर में ५ दिन शक्ति की उपासना की जाएगी। चांदी की चौकी पर कलश स्थारना के साथ नौ दिनों तक बालक राम के माथ मां दुर्गा की भी पूजा होगी। नौ दिन तक दुर्गा सप्तश्ती पाठ और हवन कुंड में आहूति दी जाएगी।
नवमी तिथि को बालक राम को 56 प्रकर के व्यंजन का भेग लगाया जाएगा इसके साथ नौ दिन तक रामनरितमानस का पाठ भी नलेग। पूरे नवरात्र भर मंदिर को फुतों से विशेष रूप से सजाया जएगा। वहीं गत में बालक राम का मंदिर लाइटों से जगमगाएगा। इसके अलाव मंदिर में खूबसूरत रंगोलियां भी बनाई जाएंगी ऐसे होगा सूर्ग अभिषेक मंदिर निर्माग समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि तैयारी पूरी चल रहें है। रामनवमी पर चार मिनट तक रामलला का सूर्य तिलक होगा। इसके लिए राममंदिर में उपकरण लगगए जा रहे हैं। बताया कि दिन में 12 बजे ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम से सूर्य की किरणें प्रभु गमलला के ललाट पर डाली जाएगी।
मंदिर के भूतल पर दो दर्पण और एक लेंस लगाया जा चुका है। सूर्य की रोशनी दूसरे तल पर लगे तीन लॅप्स और 2 दर्पणों में होते हुए भूलल पर लगाए गए आखिरी दर्पण पर पड़ेगी। इससे प्रावर्तित होने वाली किरणों से मस्तक पर तिलक बनेगा। यह सूर्य अभिषेक 75 मिमी का होगा। रविवार रात रामलला के शयन के बद वैशनिकों ने इसका ट्रायल भी किया। सूर्याभिषेक का महत्व-भगवान राम का जन्म सूर्य वंश में हुआ था और उनके कुल देवता सूर्यदेव हैं। साथ हैं भगवान राम का जन्म मध्य काल में भिजीत मुहूर्त में हुआ था, तब सूर्ग अपने पूर्ण प्रभाग में थे। भारतीग भर्म दर्शन में बताया गया है कि उगते हुए सूर्यदेन को अर्घ्य देने दर्शन व पूजा करने सेबल, तेज व आरोग्य की प्राप्ति होती है और कुंडली में सूर्य की स्थिति भी मजबूत रहती है।
विशेष दिनों ने जब सूर्यदेव की पूजा की जाती है, तब दोपहर के समय में ही होती है क्योंकि तब नूर्यदेव अपने पूर्ण प्रभाव में होते हैं। अयोध्या के मंदिर में रामलला के मस्तक पर भेजने के लिए सूर्य तिलक तंत्र का प्रयोग किया जाएगा। इस तंत्र का प्रयोग हर साल राम ननमी के दिन हैं किया जाएगा।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |