नई दिल्ली, 25 दिसंबर 2025 (यूटीएन)। भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर के बढ़ते मामलों को लेकर आईसीएमआर ने एक महत्वपूर्ण अध्ययन जारी किया है। इसमें कहा गया है कि मांसाहारी आहार, अपर्याप्त नींद और मोटापा स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत में स्तन कैंसर के मामलों में हर साल लगभग 5.6% की वृद्धि हो रही है और करीब 50,000 नए मामले हर वर्ष सामने आने का अनुमान है। अध्ययन आईसीएमआर के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च (एनसीडीआईआर) बंगलूरू ने किया है। अध्ययन के मुताबिक, 50 वर्ष से पहले रजोनिवृत्ति स्तन कैंसर के कम जोखिम से जुड़ी हैं जबकि 50 वर्ष के बाद रजोनिवृत्ति होने पर महिलाओं में स्तन कैंसर का जोखिम दो गुना से अधिक बढ़ जाता है।
अध्ययन में शादी और मातृत्व से जुड़े कई कारकों का प्रभाव सामने आया कि शादी की उम्र जितनी ज्यादा, जोखिम उतना अधिक है। जिन महिलाओं के दो या अधिक प्रेरित गर्भपात हुए, उनमें जोखिम 1.68 गुना अधिक पाया गया। पहला बच्चा 30 साल से बाद होने वाली महिलाओं में जोखिम काफी अधिक है। दिलचस्प बात यह है कि स्तनपान की अवधि और गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग इन दोनों का स्तन कैंसर जोखिम से कोई महत्वपूर्ण संबंध नहीं मिला। शोधकर्ताओं का कहना है कि बीएमआई से ज्यादा खतरनाक पेट की चर्बी है। अध्ययन के मुताबिक, पेट के आसपास जमा वसा भारतीय महिलाओं के लिए बीएमआई से ज्यादा जोखिमकारी है।
इसके अलावा, अध्ययन में पाया गया कि नियमित नॉन-वेज आहार (खासकर लाल मांस, प्रोसेस्ड मीट, हाई-फैट डाइट) लेने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का जोखिम अधिक था। यह आहार उच्च वसा और हार्मोनल प्रभाव (एस्ट्रोजन) बढ़ाने से जुड़ा है। इसी तरह नींद की खराब गुणवत्ता, अनियमित सोना-जागना और रोशनी में सोना ये सभी कारक स्तन कैंसर के जोखिम से जुड़े मिले।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।


