Tuesday, December 23, 2025

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श्री राम कथा के चौथे दिन हुआ सियाराम जी का विवाह, भजनों से झूम उठे भक्त जन

जानकी जी की विदाई पर मिथिला वासियों के साथ पशु पक्षी भी विलाप करने लगी! शास्त्री शाकाम्भरी द्विवेदी मानस मंजरी ने क्रोध पर नियंत्रण रखने की सीख दी उदाहरण देते हुए !

हिंदूपुर करछना, 17 दिसंबर 2025 (यूटीएन)। चल रही श्री राम कथा के चौथे दिन, कथा वाचिका पूज्या शास्त्री शाकाम्भरी द्विवेदी मानस मंजरी ने, भगवान परशुराम जी के जनकपुरी आगमन एवं श्री सीताराम विवाह कथा का वर्णन की ,कथा स्थल पर भक्तों की भारी भीड़ दिखाई पड़ी, श्री सीताराम जी के भजनों पर भक्तों के जयकारों से पूरा पांडाल गूंज उठा। मिश्रा परिवार के द्वारा हिंदूपुर करछना, में आयोजित श्री राम कथा के बुधवार के दिन शाम को शिव धनुष के टूटने पर परशुराम जी के आगमन और सियाराम विवाह की कथा का भावपूर्ण वर्णन किया गया, शास्त्री शाकाम्भरी द्विवेदी ने वर्णन किया, कि किस तरह अयोध्या से बाजे गाजे के साथ ,मिथिला श्री राम की बारात आई थी ,हर तरफ भक्ति के रंग बिखर गए ,मांडवी संग भरत, उर्मिला संग लक्ष्मण, श्रुतकीर्ति संग शत्रुघ्न, का विवाह संपन्न हुआ!
सीता जी की विदाई हुई! हर श्रद्धालु के आंखों से अश्रु धारा बहने लगी! मानो अपनी बेटी की विदाई की कथा सुन रहे हो !जानकी जी की विदाई पर मिथिला वासियों के साथ पशु पक्षी भी विलाप करने लगी! शास्त्री शाकाम्भरी द्विवेदी मानस मंजरी ने क्रोध पर नियंत्रण रखने की सीख दी उदाहरण देते हुए !बताया कि श्री राम जी ने जब शिवजी का धनुष तोड़ा तब भगवान परशुराम अत्यंत क्रोधित होकर मिथिला नगरी पहुंचे!
शास्त्री जी ने लक्ष्मण के साथ हुए परशुराम संवाद का विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए कहा कि हमेशा श्रेष्ठ और मधुर वाणी रखना चाहिए जो काम तलवार नहीं करती वह काम वाणी  कर देती है इसलिए वाणी और  और क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए! (इस कार्यक्रम में मुख्य यजमान उमेश मिश्रा,गौरव मिश्रा, सौरभ मिश्रा, छैल बिहारी दास मानस केसरी, शिवम द्विवेदी, भारी संख्या मेंभक्त जन मौजूद रहे।

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श्री राम कथा के चौथे दिन हुआ सियाराम जी का विवाह, भजनों से झूम उठे भक्त जन

जानकी जी की विदाई पर मिथिला वासियों के साथ पशु पक्षी भी विलाप करने लगी! शास्त्री शाकाम्भरी द्विवेदी मानस मंजरी ने क्रोध पर नियंत्रण रखने की सीख दी उदाहरण देते हुए !

हिंदूपुर करछना, 17 दिसंबर 2025 (यूटीएन)। चल रही श्री राम कथा के चौथे दिन, कथा वाचिका पूज्या शास्त्री शाकाम्भरी द्विवेदी मानस मंजरी ने, भगवान परशुराम जी के जनकपुरी आगमन एवं श्री सीताराम विवाह कथा का वर्णन की ,कथा स्थल पर भक्तों की भारी भीड़ दिखाई पड़ी, श्री सीताराम जी के भजनों पर भक्तों के जयकारों से पूरा पांडाल गूंज उठा। मिश्रा परिवार के द्वारा हिंदूपुर करछना, में आयोजित श्री राम कथा के बुधवार के दिन शाम को शिव धनुष के टूटने पर परशुराम जी के आगमन और सियाराम विवाह की कथा का भावपूर्ण वर्णन किया गया, शास्त्री शाकाम्भरी द्विवेदी ने वर्णन किया, कि किस तरह अयोध्या से बाजे गाजे के साथ ,मिथिला श्री राम की बारात आई थी ,हर तरफ भक्ति के रंग बिखर गए ,मांडवी संग भरत, उर्मिला संग लक्ष्मण, श्रुतकीर्ति संग शत्रुघ्न, का विवाह संपन्न हुआ!
सीता जी की विदाई हुई! हर श्रद्धालु के आंखों से अश्रु धारा बहने लगी! मानो अपनी बेटी की विदाई की कथा सुन रहे हो !जानकी जी की विदाई पर मिथिला वासियों के साथ पशु पक्षी भी विलाप करने लगी! शास्त्री शाकाम्भरी द्विवेदी मानस मंजरी ने क्रोध पर नियंत्रण रखने की सीख दी उदाहरण देते हुए !बताया कि श्री राम जी ने जब शिवजी का धनुष तोड़ा तब भगवान परशुराम अत्यंत क्रोधित होकर मिथिला नगरी पहुंचे!
शास्त्री जी ने लक्ष्मण के साथ हुए परशुराम संवाद का विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए कहा कि हमेशा श्रेष्ठ और मधुर वाणी रखना चाहिए जो काम तलवार नहीं करती वह काम वाणी  कर देती है इसलिए वाणी और  और क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए! (इस कार्यक्रम में मुख्य यजमान उमेश मिश्रा,गौरव मिश्रा, सौरभ मिश्रा, छैल बिहारी दास मानस केसरी, शिवम द्विवेदी, भारी संख्या मेंभक्त जन मौजूद रहे।

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