नई दिल्ली, 13 नवंबर 2025 (यूटीएन)। दिल्ली का व्यस्त इलाका चांदनी चौक के पास रेड फोर्ट मेट्रो स्टेशन के निकट एक सफेद ह्यूंडई आई20 कार अचानक फट पड़ी। समय था करीब शाम 6 बजकर 52 मिनट। धमाके की तीव्रता इतनी जबरदस्त थी कि आसपास की 20 से अधिक गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं। सड़क पर खड़ी भीड़भाड़ वाली जगह पर विस्फोट होने से मलबा चारों तरफ बिखर गया। आंखों देखी हालातों के मुताबिक, कार में भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ भरा था, जो अमोनियम नाइट्रेट और आरडीएक्स के मिश्रण से बना लगता है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि कार में लगभग तीन किलोग्राम से अधिक विस्फोटक था। धमाके के बाद दिल्ली पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और राष्ट्रीय जांच एजेंसी की टीमें मौके पर पहुंचीं। घायलों को तुरंत लोक नायक अस्पताल और अन्य नजदीकी मेडिकल सुविधाओं में भर्ती कराया गया। मृतकों में अमरोहा के बस कंडक्टर अशोक कुमार, स्थानीय दुकानदार और कुछ राहगीर शामिल थे।
आठ मृतकों की पहचान तुरंत हो गई, लेकिन दो शव इतने जले हुए थे कि उनकी शिनाख्त मुश्किल थी। जांच एजेंसियों को सबसे पहले संदेह डॉक्टर उमर उन नबी पर हुआ। उमर, 36 वर्षीय एक सीनियर डॉक्टर थे, जो हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर में कार्यरत थे। उन्होंने श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज से एमडी की डिग्री हासिल की थी और अनंतनाग के जीएमसी में सीनियर रेजिडेंट रह चुके थे। सितंबर 2025 में वे फरीदाबाद शिफ्ट हो गए थे। सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि उमर ने 29 अक्टूबर को यह सफेद ह्युंडई आई20 कार खरीदी थी। कार का रजिस्ट्रेशन दिल्ली में था, लेकिन पता फर्जी निकला। घटना वाले दिन दोपहर करीब तीन बजे उमर को कार में सवार देखा गया। वे बदरपुर बॉर्डर से दिल्ली में प्रवेश कर चुके थे। इसके बाद वे कनॉट प्लेस, तुर्कमान गेट, सुनेहरी मस्जिद और रामलीला मैदान के आसपास घूमते नजर आए। लगभग 11 घंटे के ट्रायल से साबित हुआ कि वे जानबूझकर व्यस्त इलाकों का चक्कर लगा रहे थे। शाम को कार रेड फोर्ट के पास पार्क है, जहां से धमाका हुआ।

फुटेज में उमर मुखौटा पहने दिखे, जो उनकी पहचान छिपाने का प्रयास था। दिल्ली के ऐतिहासिक रेड फोर्ट के पास 10 नवंबर 2025 को हुए भयानक कार ब्लास्ट ने पूरे देश को हिला दिया। इस धमाके में 12 लोगों की जान चली गई और 20 से अधिक लोग घायल हो गए। घटना के चार दिन बाद, फॉरेंसिक जांच ने एक महत्वपूर्ण मोड़ ले लिया। डीएनए टेस्ट से पुष्टि हो गई कि धमाके वाली ह्यूंडई आई20 कार को चला रहे व्यक्ति का शव वही था जो आतंकी मॉड्यूल का मुख्य आरोपी माना जा रहा था। यह व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के कोयला गांव निवासी डॉक्टर उमर उन नबी थे। उनकी पहचान उनकी मां और भाई के डीएनए सैंपल से 100 प्रतिशत मेल खाने पर हुई। यह खुलासा न केवल हमले के पीछे की साजिश को उजागर करता है, बल्कि एक ‘व्हाइट कॉलर’ टेरर नेटवर्क की गहराई को भी सामने लाता है, जिसमें पढ़े-लिखे पेशेवर डॉक्टर शामिल थे। डीएनए जांच इस मामले का टर्निंग पॉइंट साबित हुई।
धमाके के बाद कार के मलबे से हड्डियों के टुकड़े, दांत और कपड़ों के फटे हुए हिस्से बरामद हुए। इनमें से खासतौर पर ड्राइविंग सीट के पास मिला एक पैर का हिस्सा महत्वपूर्ण था, जो स्टीयरिंग व्हील और एक्सीलेटर के बीच फंस गया था। यह संकेत देता था कि चालक ही विस्फोट के समय कार में मौजूद था। इन अवशेषों के नमूने फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे गए। उसी समय पुलिस ने उमर के परिवार पर नजर रखी। 11 नवंबर को पुलवामा के कोइल गांव पहुंची टीम ने उमर की मां शमीमा बेगम और दो भाइयों के खून के सैंपल लिए। माँ का सैंपल विशेष रूप से महत्वपूर्ण था, क्योंकि मातृ डीएनए से पहचान की सटीकता 50 प्रतिशत से अधिक होती है। ये सैंपल कड़ी सुरक्षा में दिल्ली के एम्स फॉरेंसिक लैब में पहुंच गए। वहां ऑटोसोमल शॉर्ट टेंडर रिपीट प्रोफाइलिंग विधि से टेस्ट किया गया। इसमें डीएनए के छोटे-छोटे दोहरा वाले हिस्सों की जांच होती है, जो हर व्यक्ति के लिए अनोखे होते हैं। परिणाम 12 नवंबर की रात को आया।
अवशेषों का डीएनए मां और भाई के सैंपल से 100 प्रतिशत मेल खा गया। एम्स के फॉरेंसिक हेड डॉक्टर सुधीर गुप्ता ने बताया कि यह विधि आपराधिक जांच में सोने का मानक है, खासकर जब शव जल चुके हों। एजेंसियां मानती हैं कि यह आत्मघाती हमला था, लेकिन कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि गिरफ्तारियों की खबर से उमर घबरा गए। 9 नवंबर को फरीदाबाद में 3000 किलोग्राम विस्फोटक बरामद हुए, जिसके बाद मॉड्यूल पर दबाव बढ़ा। उमर ने पैनिक में विस्फोट कर दिया। बड़ा प्लान दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद के मॉल्स, रेलवे स्टेशनों और धार्मिक स्थलों पर सीरियल ब्लास्ट का था। खासकर 25 नवंबर को अयोध्या राम मंदिर पर भगवा ध्वज फहराने के दिन हमला प्लान किया गया था। 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस की बरसी पर भी दिल्ली-मुंबई में साजिश रची गई। विस्फोटकों का सोर्स पाकिस्तान के जैश ऑपरेटिव उमर बिन खत्ताब से जुड़ा था। उमर के नाम पर एक फोर्ड ईकोस्पोर्ट भी फरीदाबाद से बरामद हुई, जबकि मारुति ब्रेजा की तलाश जारी है। यह पुष्टि न केवल हमले के सूत्रधार को कन्फर्म करती है, बल्कि साजिश की परतें भी खोलती है।
जांच से पता चला कि उमर अकेले नहीं थे। वे जैश-ए-मोहम्मद के एक लॉजिस्टिक मॉड्यूल का हिस्सा थे, जो फरीदाबाद, लखनऊ और दक्षिण कश्मीर के बीच सक्रिय था। यह मॉड्यूल ‘व्हाइट कॉलर’ टेरर नेटवर्क का उदाहरण था, जिसमें रेडिकलाइज्ड प्रोफेशनल्स जैसे डॉक्टर शामिल थे। उम्र के साथ गिरफ्तार डॉक्टर मुजम्मिल शकील और डॉक्टर आदिल राथर भी अल-फलाह मेडिकल कॉलेज से जुड़े थे। मुजम्मिल को मुख्य लिंक माना जा रहा है। इसके अलावा, डॉक्टर शाहीना शाहिद को जैश की पहली महिला विंग ‘जमात-उल-मोमिनात’ का भारत प्रमुख बनाया गया था। वे रिक्रूटमेंट और फंडिंग में शामिल थीं। दक्षिण कश्मीर के मौलवी इरफान ने इन डॉक्टरों को कट्टरपंथ की ओर धकेला। जांच में तुर्की कनेक्शन भी सामने आया। उमर, मुजम्मिल और अन्य संदिग्ध तुर्की गए थे, जहां जैश के हैंडलर ने उनका ब्रेनवॉश किया। एन्क्रिप्टेड टेलीग्राम चैनलों पर वे मेडिकल ग्रुप से जुड़े थे। परिवार की प्रतिक्रिया चौंकाने वाली रही।
पुलवामा में उमर के चाचा ने कहा कि वे शांत स्वभाव के थे, किताबें पढ़ने के शौकीन। बहनोई मुजम्मिल ने बताया कि परिवार ने उनकी पढ़ाई के लिए बहुत संघर्ष किया। मां शमीमा बेगम अवाक हैं और विश्वास नहीं कर पा रही। लेकिन जांच में उमर के हालिया बदलाव सामने आए। वे अक्सर दिल्ली के मस्जिदों में जाते, परिवार को ‘जरूरी काम’ बताते। पुलिस ने 13 अन्य संदिग्धों को हिरासत में लिया, जिनमें कार खरीदने वाले शामिल हैं। दक्षिण कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी के ठिकानों पर छापे मारे गए।


