Tuesday, October 28, 2025

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डिजिटल अरेस्ट’ नागरिकों के लिए सबसे खतरनाक खतरों में से एक: राष्ट्रपति

पुलिस व्यवस्था में सांस्कृतिक वि-उपनिवेशीकरण की प्रक्रिया आईपी या भारतीय पुलिस को आईपीएस या भारतीय पुलिस सेवा में बदलने के साथ शुरू हुई।

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर 2025 (यूटीएन)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि तकनीक ने पुलिसिंग के क्षेत्र में व्यापक बदलाव ला दिया है और ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ नागरिकों के लिए सबसे भयावह खतरों में से एक बन गई है। राष्ट्रपति भवन में उनसे मिलने आए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि लोगों, खासकर वंचित वर्ग को पुलिस को एक भयावह संस्था के रूप में नहीं, बल्कि एक सहारे के स्रोत के रूप में देखना चाहिए।
सार्वजनिक और निजी निवेश की आवश्यकता’
राष्ट्रपति ने इस दौरान कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है और ‘हमें अपनी आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने और तेज करने के लिए लगातार बढ़ते सार्वजनिक और निजी निवेश की आवश्यकता है।’ उन्होंने कहा, ‘किसी भी राज्य या क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए कानून-व्यवस्था एक आवश्यक पूर्व शर्त है। निवेश और विकास को बढ़ावा देने में प्रभावी पुलिसिंग उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि आर्थिक प्रोत्साहन।’ राष्ट्रपति ने कहा कि आईपीएस परिवीक्षाधीन अधिकारियों जैसे युवा अधिकारियों के नेतृत्व में भविष्य के लिए तैयार पुलिस बल ‘विकसित भारत’ के निर्माण में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा।
*’लोगों को ऐसे शिकार बनाते हैं धोखेबाज’*
उन्होंने कहा, ‘धोखेबाज कानून प्रवर्तन अधिकारियों का रूप धारण करते हैं, गिरफ्तारी और बैंक खातों को फ्रीज करने जैसी धमकियों का इस्तेमाल करके पीड़ितों को कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए जुर्माना या जमानत राशि के रूप में पैसे देने के लिए मजबूर करते हैं। ये धोखेबाज कानून प्रवर्तन अधिकारी बनकर वीडियो कॉल का इस्तेमाल करते हैं और पीड़ितों को निशाना बनाते हैं। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ता उपयोगकर्ता आधार है।
उन्होंने कहा, ‘लेकिन उन्होंने भारत जैसे उपनिवेशों में भय, अविश्वास और दूरी पर आधारित पुलिस व्यवस्थाएँ बनाईं। पुलिस व्यवस्था में सांस्कृतिक वि-उपनिवेशीकरण की प्रक्रिया आईपी या भारतीय पुलिस को आईपीएस या भारतीय पुलिस सेवा में बदलने के साथ शुरू हुई। यह बदलाव शासन करने के बजाय सेवा करने के विचार पर आधारित एक नया दृष्टिकोण लाने के लिए था।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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डिजिटल अरेस्ट’ नागरिकों के लिए सबसे खतरनाक खतरों में से एक: राष्ट्रपति

पुलिस व्यवस्था में सांस्कृतिक वि-उपनिवेशीकरण की प्रक्रिया आईपी या भारतीय पुलिस को आईपीएस या भारतीय पुलिस सेवा में बदलने के साथ शुरू हुई।

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर 2025 (यूटीएन)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि तकनीक ने पुलिसिंग के क्षेत्र में व्यापक बदलाव ला दिया है और ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ नागरिकों के लिए सबसे भयावह खतरों में से एक बन गई है। राष्ट्रपति भवन में उनसे मिलने आए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि लोगों, खासकर वंचित वर्ग को पुलिस को एक भयावह संस्था के रूप में नहीं, बल्कि एक सहारे के स्रोत के रूप में देखना चाहिए।
सार्वजनिक और निजी निवेश की आवश्यकता’
राष्ट्रपति ने इस दौरान कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है और ‘हमें अपनी आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने और तेज करने के लिए लगातार बढ़ते सार्वजनिक और निजी निवेश की आवश्यकता है।’ उन्होंने कहा, ‘किसी भी राज्य या क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए कानून-व्यवस्था एक आवश्यक पूर्व शर्त है। निवेश और विकास को बढ़ावा देने में प्रभावी पुलिसिंग उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि आर्थिक प्रोत्साहन।’ राष्ट्रपति ने कहा कि आईपीएस परिवीक्षाधीन अधिकारियों जैसे युवा अधिकारियों के नेतृत्व में भविष्य के लिए तैयार पुलिस बल ‘विकसित भारत’ के निर्माण में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा।
*’लोगों को ऐसे शिकार बनाते हैं धोखेबाज’*
उन्होंने कहा, ‘धोखेबाज कानून प्रवर्तन अधिकारियों का रूप धारण करते हैं, गिरफ्तारी और बैंक खातों को फ्रीज करने जैसी धमकियों का इस्तेमाल करके पीड़ितों को कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए जुर्माना या जमानत राशि के रूप में पैसे देने के लिए मजबूर करते हैं। ये धोखेबाज कानून प्रवर्तन अधिकारी बनकर वीडियो कॉल का इस्तेमाल करते हैं और पीड़ितों को निशाना बनाते हैं। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ता उपयोगकर्ता आधार है।
उन्होंने कहा, ‘लेकिन उन्होंने भारत जैसे उपनिवेशों में भय, अविश्वास और दूरी पर आधारित पुलिस व्यवस्थाएँ बनाईं। पुलिस व्यवस्था में सांस्कृतिक वि-उपनिवेशीकरण की प्रक्रिया आईपी या भारतीय पुलिस को आईपीएस या भारतीय पुलिस सेवा में बदलने के साथ शुरू हुई। यह बदलाव शासन करने के बजाय सेवा करने के विचार पर आधारित एक नया दृष्टिकोण लाने के लिए था।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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