Tuesday, October 28, 2025

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जूता फेंकने वाले वकील के खिलाफ नहीं चलेगा अवमानना केस

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने तत्काल प्रभाव से उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया। अदालती कार्यवाही के दौरान और उसके बाद भी इस अभूतपूर्व घटना से अप्रभावित रहे।

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर 2025 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह जूता फेंकने वाले वकील के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने के लिए इच्छुक नहीं है। अदालत ने कहा कि भारत के प्रधान न्यायाधीश ने खुद उसके खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि अदालत में नारे लगाना और जूते फेंकना स्पष्ट रूप से अदालत की अवमानना का मामला है, लेकिन कानून के तहत यह पूरी तरह से संबंधित न्यायाधीश पर निर्भर करता है कि वह आगे बढ़े या नहीं।
*वकील को अनुचित महत्व मिलेगा*
पीठ ने कहा, अवमानना नोटिस जारी करने से मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने वाले वकील को अनुचित महत्व मिलेगा और घटना की अवधि बढ़ जाएगी। साथ ही, पीठ ने कहा कि इस घटना को अपनी स्वाभाविक मृत्यु के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए। पीठ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें 71 वर्षीय अधिवक्ता राकेश किशोर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई थी, जिन्होंने 6 अक्टूबर को अदालती कार्यवाही के दौरान मुख्य न्यायाधीश की ओर जूता फेंका था।
*दिशानिर्देश बनाने पर विचार होगा*
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दिशानिर्देश बनाने पर विचार करेगी। इसने सॉलिaसिटर जनरल तुषार मेहता से विभिन्न अदालतों में जूता फेंकने जैसी घटनाओं का विवरण एकत्र करने को कहा। 16 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने कहा था कि अभिव्यक्ति के अधिकार का प्रयोग दूसरों की गरिमा और निष्ठा की कीमत पर नहीं किया जा सकता। साथ ही, उसने बेलगाम सोशल मीडिया के खतरों के बारे में आगाह करते हुए कहा कि हाल ही में मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने जैसी घटनाएं पैसा कमाने के हथकंडे के अलावा और कुछ नहीं हैं।
*क्या थी 6 अक्टूबर की घटना*
6 अक्टूबर को सुरक्षा व्यवस्था का उल्लंघन करते हुए किशोर ने मुख्य न्यायाधीश की ओर उनके न्यायालय कक्ष में जूता फेंका, जिसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने तत्काल प्रभाव से उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया। अदालती कार्यवाही के दौरान और उसके बाद भी इस अभूतपूर्व घटना से अप्रभावित रहे मुख्य न्यायाधीश ने अदालत के अधिकारियों और न्यायालय कक्ष में मौजूद सुरक्षाकर्मियों से इसे अनदेखा करने और दोषी वकील को चेतावनी देकर छोड़ देने को कहा। इस घटना की समाज के विभिन्न वर्गों में व्यापक निंदा हुई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्य न्यायाधीश से बात की।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

International

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जूता फेंकने वाले वकील के खिलाफ नहीं चलेगा अवमानना केस

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने तत्काल प्रभाव से उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया। अदालती कार्यवाही के दौरान और उसके बाद भी इस अभूतपूर्व घटना से अप्रभावित रहे।

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर 2025 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह जूता फेंकने वाले वकील के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने के लिए इच्छुक नहीं है। अदालत ने कहा कि भारत के प्रधान न्यायाधीश ने खुद उसके खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि अदालत में नारे लगाना और जूते फेंकना स्पष्ट रूप से अदालत की अवमानना का मामला है, लेकिन कानून के तहत यह पूरी तरह से संबंधित न्यायाधीश पर निर्भर करता है कि वह आगे बढ़े या नहीं।
*वकील को अनुचित महत्व मिलेगा*
पीठ ने कहा, अवमानना नोटिस जारी करने से मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने वाले वकील को अनुचित महत्व मिलेगा और घटना की अवधि बढ़ जाएगी। साथ ही, पीठ ने कहा कि इस घटना को अपनी स्वाभाविक मृत्यु के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए। पीठ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें 71 वर्षीय अधिवक्ता राकेश किशोर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई थी, जिन्होंने 6 अक्टूबर को अदालती कार्यवाही के दौरान मुख्य न्यायाधीश की ओर जूता फेंका था।
*दिशानिर्देश बनाने पर विचार होगा*
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दिशानिर्देश बनाने पर विचार करेगी। इसने सॉलिaसिटर जनरल तुषार मेहता से विभिन्न अदालतों में जूता फेंकने जैसी घटनाओं का विवरण एकत्र करने को कहा। 16 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने कहा था कि अभिव्यक्ति के अधिकार का प्रयोग दूसरों की गरिमा और निष्ठा की कीमत पर नहीं किया जा सकता। साथ ही, उसने बेलगाम सोशल मीडिया के खतरों के बारे में आगाह करते हुए कहा कि हाल ही में मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने जैसी घटनाएं पैसा कमाने के हथकंडे के अलावा और कुछ नहीं हैं।
*क्या थी 6 अक्टूबर की घटना*
6 अक्टूबर को सुरक्षा व्यवस्था का उल्लंघन करते हुए किशोर ने मुख्य न्यायाधीश की ओर उनके न्यायालय कक्ष में जूता फेंका, जिसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने तत्काल प्रभाव से उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया। अदालती कार्यवाही के दौरान और उसके बाद भी इस अभूतपूर्व घटना से अप्रभावित रहे मुख्य न्यायाधीश ने अदालत के अधिकारियों और न्यायालय कक्ष में मौजूद सुरक्षाकर्मियों से इसे अनदेखा करने और दोषी वकील को चेतावनी देकर छोड़ देने को कहा। इस घटना की समाज के विभिन्न वर्गों में व्यापक निंदा हुई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्य न्यायाधीश से बात की।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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