नई दिल्ली, 26 अक्टूबर 2025 (यूटीएन)। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने आज यहाँ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के 50वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। नड्डा ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए स्नातक छात्रों को बधाई दी और भारत में चिकित्सा विज्ञान, शिक्षा और रोगी देखभाल को आगे बढ़ाने में एम्स के अद्वितीय योगदान की सराहना की। उन्होंने युवा डॉक्टरों से सहानुभूति के साथ सेवा करने, नैतिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने और देश की उभरती स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नवाचार का उपयोग करने का आह्वान किया। एम्स, नई दिल्ली के बारे में बोलते हुए नड्डा ने कहा कि “चिकित्सा विज्ञान, प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सेवा वितरण के क्षेत्र में, एम्स ने न केवल भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

उन्होंने चिकित्सा शिक्षा, अत्याधुनिक अनुसंधान और रोगी देखभाल में उत्कृष्टता के प्रति संस्थान की निरंतर प्रतिबद्धता की सराहना की। पिछले एक दशक में भारत के स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डालते हुए, जे.पी. नड्डा ने कहा कि पिछली सदी के अंत में जहाँ देश में केवल एक एम्स था, वहीं आज पूरे भारत में 23 एम्स संस्थान हैं, जो हर क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा प्रशिक्षण के विस्तार के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने आगे बताया कि पिछले 11 वर्षों में देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 819 हो गई है। इसी प्रकार, स्नातक चिकित्सा सीटें 51,000 से बढ़कर 1,29,000 और स्नातकोत्तर सीटें 31,000 से बढ़कर 78,000 हो गई हैं। नड्डा ने कहा कि अगले पाँच वर्षों में स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तरों पर 75,000 अतिरिक्त सीटें जुड़ने की उम्मीद है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि भारत ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, जहाँ एसआरएस के आंकड़ों के अनुसार, मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) 130 से घटकर 88 और शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) 39 से घटकर 27 हो गई है। यू5एमआर और एनएमआर में भी क्रमशः 42% और 39% की उल्लेखनीय कमी आई है, जो वैश्विक औसत से अधिक है। उन्होंने आगे बताया कि भारत में टीबी के मामलों में 17.7% की गिरावट आई है, जो वैश्विक दर 8.3% से लगभग दोगुनी है, और जैसा कि द लैंसेट रिपोर्ट में बताया गया है।
अपने संबोधन के समापन पर जे.पी. नड्डा ने स्नातक छात्रों से शिक्षा और अनुसंधान में सक्रिय योगदान देने और अपने पेशेवर एवं नैतिक आचरण में उत्कृष्टता के माध्यम से एम्स की प्रतिष्ठित विरासत और ब्रांड को बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने छात्रों को आजीवन शिक्षार्थी और नवप्रवर्तक बने रहने, चिकित्सा विज्ञान को आगे बढ़ाने और करुणा के साथ समाज की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध रहने के लिए प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर बोलते हुए नीति आयोग के सदस्य, डॉ. पॉल ने कहा, “जिस समुदाय ने हमें पोषित किया है, उसे कुछ वापस देना हमारी एक गहन सामाजिक ज़िम्मेदारी है। जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, उत्कृष्टता को अपना दैनिक अभ्यास और नवाचार को अपना मार्गदर्शक सिद्धांत बनाएँ।”
उन्होंने छात्रों से शिक्षा जगत में शामिल होने, स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की अगली पीढ़ी को पढ़ाने, मार्गदर्शन करने और प्रेरित करने पर विचार करने का आग्रह किया, जिससे ‘विकसित भारत’ के विज़न में योगदान मिल सके। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सच्चा राष्ट्र निर्माण ज्ञान, करुणा और निरंतर सीखने की मज़बूत नींव पर टिका होता है।
समारोह के दौरान, 326 स्नातकों को उपाधियाँ प्रदान की गईं, जिनमें 50 पीएचडी स्कॉलर, 95 डीएम/एमसीएच विशेषज्ञ, 69 एमडी, 15 एमएस, 4 एमडीएस, 45 एमएससी, 30 एमएससी (नर्सिंग) और 18 एम.बायोटेक स्नातक शामिल थे। इसके अतिरिक्त, एम्स में उनके अनुकरणीय योगदान और समर्पित सेवा के लिए सात डॉक्टरों को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।


