नई दिल्ली, 25 सितम्बर 2025 (यूटीएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भारत मंडपम में आयोजित ‘वर्ल्ड फूड इंडिया 2025’ का उद्घाटन किया । इस दौरान उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि खाद्य क्षेत्र के निवेशक विविधता, पैमान और मांग के कारण भारत की ओर देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज इस आयोजन में हमारे किसान, उद्यमी, निवेशक, उपभोक्ता सभी एक ही जगह मौजूद हैं। वर्ल्ड फूड इंडिया एक नए कॉन्टेक्ट, कनेक्ट और क्रिएटिविटी का आयोजन बन गया है।
*मोदी ने फिर दोहराई लाल किले वाली बात*
इनमें से कई सारे स्टार्टअप फूड और एग्रीकल्चर सेक्टर में काम कर रहे हैं। यानी भारत में विविधता, मांग और नवाचार सभी कुछ मौजूद हैं। यह तमाम चीजें भारत को इनवेस्टमेंट के लिए सबसे आकर्षण बनाते हैं। मैं लाल किले से कही अपनी बात फिर दोहराऊंगा कि इनवेस्टमेंट का भारत में विस्तार करने का यही समय है, सही समय है। उन्होंने कहा कि 21 सदी में दुनिया के सामने इतनी सारी चुनौतियां हैं, इनसे हम भली-भांति परिचित हैं। जब-जब, जो-जो चुनौतियां दुनिया के सामने आई हैं भारत ने आगे बढ़कर सकारात्मक भूमिका निभाई है। ग्लोबल फूड सिक्योरिटी में भी भारत निरंतर कंट्रीब्यूट कर रहा है। हमारे किसानों, पशुपालकों, मछवारों और सरकारी की नीतियों से भारत का सामर्थ्य लगातार बढ़ रहा है। आज भारत दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। हम मिलेट्स के भी सभी बड़े प्रोड्यूसर हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि बीते 10 साल में भारत की प्रोसेसिंग कैपिसिटी में 20 गुना वृद्धि हुई है। फूड सप्लाई और वैल्यू चेन में हमारे किसानों, पशुपालकों और मछुआरों, और छोटी-छोटी प्रोसेसिंग यूनिट्स की बहुत बड़ी भूमिका है। भारत में 85 प्रतिशत से अधिक स्मॉल और मार्जिनल फार्मर्स हैं। इसलिए हमने ऐसी पॉलिसी बनाई। उन्होंने कहा कि मरीन और फिसरीज में भी भारत की ग्रोथ शानदार है। आज का भारत इनोवेशन और रिफॉर्म्स के नए पथ पर अग्रसर है। आजकल हमारे यहां नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी रिफॉर्म्स की बहुत चर्चा है। किसानों के लिए ये रिफॉर्म्स कम लागत और ज्यादा लाभ का भरोसा लेकर आए हैं। प्रधानमंत्री ने भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में वैश्विक निवेश का आह्वान करते हुए कहा कि देश में विविधता, मांग और पैमाने की तिहरी ताकत है। उन्होंने उद्योग जगत से बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग में नवाचारों में निवेश करने और पर्यावरण के अनुकूल पैकेजिंग सामग्री अपनाने का भी आग्रह किया।
पीएम मोदी ने कहा, आज दुनिया और विशेष रूप से खाद्य क्षेत्र के निवेशक भारत की ओर बड़ी आशा भरी नजरों से देख रहे हैं क्योंकि भारत में विविधता, मांग और पैमाने की त्रिगुण शक्ति विद्यमान है। भारत हर अनाज, हर फल और हर सब्जी का उत्पादन करता है। यही विविधता भारत को दुनिया में विशिष्ट बनाती है। हमारा भोजन और उसका स्वाद हर 100 किलोमीटर पर बदल जाता है। भारत में विविध व्यंजनों की ज़बरदस्त मांग है। यह मांग भारत को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान करती है और इसे निवेशकों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य भी बनाती है। आज भारत जिस पैमाने पर काम कर रहा है, वह अभूतपूर्व और अप्रत्याशित है।
*10 वर्षों में भारत में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को मात दी*
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, पिछले 10 वर्षों में भारत में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को मात दी है। ये सभी लोग अब नव-मध्यम वर्ग का हिस्सा बन गए हैं। यह नव-मध्यम वर्ग देश का सबसे ऊर्जावान और आकांक्षी वर्ग है। इतने सारे लोगों की आकांक्षाएं हमारे खाद्य रुझानों को निर्धारित करेंगी। यही आकांक्षी वर्ग हमारी मांग को बढ़ा रही है। आज देश के प्रतिभाशाली युवा हर क्षेत्र में बदलाव ला रहे हैं। हमारा खाद्य क्षेत्र भी इसका अपवाद नहीं है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है, और इनमें से कई स्टार्टअप खाद्य और कृषि क्षेत्रों में काम करते हैं। एआई, ई-कॉमर्स, ड्रोन और एप्स को भी इस क्षेत्र में एकीकृत किया जा रहा है। ये स्टार्टअप आपूर्ति श्रृंखलाओं, खुदरा और प्रसंस्करण विधियों में बदलाव ला रहे हैं। भारत में विविधता, मांग और नवाचार, सभी मौजूद हैं।
ये सभी कारक भारत को एक बेहद आकर्षक निवेश गंतव्य बनाते हैं। इसलिए मैं लाल किले से कही गई बात को दोहराऊंगा: यह भारत में निवेश बढ़ाने का समय है। रूस के उप-प्रधानमंत्री दिमित्री पत्रिशेव ने भारतीय खाद्य पदार्थों की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय व्यंजन दुनिया में सबसे अनूठे हैं। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि ‘वर्ल्ड फूड इंडिया 2025’ शिखर सम्मेलन के दौरान खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि 65,000 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर पहले ही हस्ताक्षर हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि एमओयू वाली कंपनियों में रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स और कोका-कोला भी शामिल हैं। ‘‘इस सम्मेलन के दौरान हम एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के एमओयू पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद कर रहे हैं।’’
इस अवसर पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से संबंधित मुद्दों पर एक सीईओ गोलमेज सम्मेलन भी हुआ। इसमें सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे।
पासवान ने कहा कि कंपनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाए जाने से बेहद संतुष्ट हैं। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले साल उद्योग ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। ‘वर्ल्ड फूड इंडिया 2025’ शिखर सम्मेलन का आयोजन प्रगति मैदान स्थित ‘भारत मंडपम’ में हो रहा है। इसमें रूस के उप प्रधानमंत्री दिमित्री पत्रिशेव सहित कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। करीब एक लाख वर्गमीटर में फैला यह आयोजन भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का अब तक का सबसे बड़ा सम्मेलन है। इसमें 21 देशों की भागीदारी हो रही है। न्यूजीलैंड और सऊदी अरब इसके साझीदार देश हैं जबकि जापान, रूस, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और वियतनाम को फोकस देश के रूप में चुना गया है। इसके अलावा 21 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों, 10 केंद्रीय मंत्रालयों, पांच संबद्ध सरकारी संगठनों और 1,700 से अधिक प्रदर्शकों की भी भागीदारी इस सम्मेलन में हो रही है। पिछले आयोजन में खाद्य प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों पर जोर रहा था जबकि 2023 के संस्करण में 33,000 करोड़ रुपये के एमओयू हुए थे।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।