Wednesday, October 8, 2025

National

spot_img

यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत निर्णायक दौर में: पीयुष गोयल

देशों के साथ काम करना चाहता है और उन देशों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना चाहता है जिनके साथ हमारे हित समान हैं, जहाँ हम वास्तव में ऐसी साझेदारियाँ बना सकें जो स्थायी, टिकाऊ और दोनों पक्षों के लिए लाभकारी हों।

नई दिल्ली, 10 सितम्बर 2025 (यूटीएन)। भारत की आपूर्ति श्रृंखलाओं में लचीलापन, अस्थिरता से निपटने की क्षमता और समान विचारधारा वाले देशों के बीच सहयोग हमारी सफलता की कहानी को परिभाषित करेंगे केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि भारत विकसित दुनिया का हिस्सा बनना चाहता है। वह मित्र देशों के साथ काम करना चाहता है और उन देशों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना चाहता है जिनके साथ हमारे हित समान हैं, जहाँ हम वास्तव में ऐसी साझेदारियाँ बना सकें जो स्थायी, टिकाऊ और दोनों पक्षों के लिए लाभकारी हों।
फिक्की लीड्स 2025 को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि भारत ने ऑस्ट्रेलिया, यूके, चिली और पेरू सहित कई देशों के साथ व्यापार समझौते किए हैं। उन्होंने आगे कहा कि यूरोपीय संघ के साथ व्यापार वार्ता भी तेज़ गति से चल रही है और जल्द ही पूरी हो जाएगी। इन देशों ने अगले 15 वर्षों में विनिर्माण, नवाचार, सेवा आदि क्षेत्रों में 100 अरब डॉलर से अधिक का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। गोयल ने यह भी बताया कि ओमान के साथ व्यापार समझौता प्रगति पर है और अगले कुछ हफ़्तों में इसके संपन्न होने की संभावना है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए अमेरिका के साथ बातचीत कर रही है। गोयल ने ज़ोर देकर कहा, “आज की दुनिया में, हमारी आपूर्ति श्रृंखलाओं में लचीलापन, अनिश्चितता और अस्थिरता से निपटने की हमारी क्षमता, और समान विचारधारा वाले देशों के बीच साझेदारी, सहयोग और सहकारिता पर आधारित भविष्य की तैयारी हमारी सफलता की कहानी को परिभाषित करेगी। उन्होंने आगे कहा कि भारत सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और आने वाले दशकों में युवा महत्वाकांक्षी भारतीयों के समर्थन से ऐसा ही बना रहेगा। केंद्रीय मंत्री  ने भारत की मज़बूत विकास गाथा के तीन प्रमुख क्षेत्रों पर प्रकाश डाला, जिनमें संकट को अवसरों में बदलने की भारत की क्षमता शामिल है: आर्थिक विकास के लिए भारत का समावेशी दृष्टिकोण और सरकार का कार्य-उन्मुख दृष्टिकोण।
ओमान सल्तनत के वाणिज्य, उद्योग एवं निवेश संवर्धन मंत्रालय के विदेश व्यापार एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सलाहकार पंकज खिमजी ने कहा, “टैरिफ, शुल्क, उत्पाद शुल्क वास्तविक बाधाएँ नहीं हैं, बल्कि गैर-टैरिफ बाधाएँ ही वास्तविक बाधाएँ हैं जो मानकों, विनिर्देशों और छूटों से संबंधित हैं। हमें इन गैर-टैरिफ बाधाओं (एनटीबी) के प्रति उसी तरह सचेत रहने की आवश्यकता है जैसे हम टैरिफ बाधाओं के प्रति हैं। मेक्सिको के व्यापार समन्वय परिषद (सीसीई) के अध्यक्ष फ्रांसिस्को सर्वेंटेस डियाज़ ने कहा, “मेक्सिको और भारत के बीच आर्थिक साझेदारी निरंतर प्रासंगिक होती जा रही है। हमारे व्यापार प्रवाह में नए क्षेत्रों में विस्तार के अवसरों के साथ, मजबूत पूरकता दिखाई देती है। पेरिस के अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य मंडल (आईसीसी) के महासचिव जॉन डब्ल्यूएच डेंटन ने कहा, “वाणिज्य मंडलों, सरकारों और व्यवसायों को अनावश्यक व्यापार लागतों को कम करने और एमएसएमई को सशक्त बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
इन कदमों के लिए विश्व व्यापार संगठन में सुधार की आवश्यकता नहीं है; इनके लिए दृढ़ संकल्प और सही प्रणालियों को व्यवहार में लाने की आवश्यकता है। फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा, “आज, लचीलापन वैश्विक व्यापार की नई मुद्रा है। लचीलापन अनुकूलनशीलता, विविधीकरण और विश्वास पर आधारित है। फिक्की के उपाध्यक्ष विजय शंकर ने कहा, “आज फिक्की लीड्स में, हमने इस विषय पर विचारों का एक आकर्षक आदान-प्रदान देखा कि कैसे व्यवसाय और सरकारें वैश्विक व्यापार में अनिश्चितताओं से निपटते हुए लचीलापन, विश्वास और स्थायी साझेदारी को बढ़ावा दे सकती हैं।”
भारत में ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग के उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन ओएएम; यूके इंडिया बिजनेस काउंसिल के अध्यक्ष रिचर्ड हील्ड ने भी सत्र के दौरान अपने विचार साझा किए।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

International

spot_img

यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत निर्णायक दौर में: पीयुष गोयल

देशों के साथ काम करना चाहता है और उन देशों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना चाहता है जिनके साथ हमारे हित समान हैं, जहाँ हम वास्तव में ऐसी साझेदारियाँ बना सकें जो स्थायी, टिकाऊ और दोनों पक्षों के लिए लाभकारी हों।

नई दिल्ली, 10 सितम्बर 2025 (यूटीएन)। भारत की आपूर्ति श्रृंखलाओं में लचीलापन, अस्थिरता से निपटने की क्षमता और समान विचारधारा वाले देशों के बीच सहयोग हमारी सफलता की कहानी को परिभाषित करेंगे केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि भारत विकसित दुनिया का हिस्सा बनना चाहता है। वह मित्र देशों के साथ काम करना चाहता है और उन देशों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना चाहता है जिनके साथ हमारे हित समान हैं, जहाँ हम वास्तव में ऐसी साझेदारियाँ बना सकें जो स्थायी, टिकाऊ और दोनों पक्षों के लिए लाभकारी हों।
फिक्की लीड्स 2025 को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि भारत ने ऑस्ट्रेलिया, यूके, चिली और पेरू सहित कई देशों के साथ व्यापार समझौते किए हैं। उन्होंने आगे कहा कि यूरोपीय संघ के साथ व्यापार वार्ता भी तेज़ गति से चल रही है और जल्द ही पूरी हो जाएगी। इन देशों ने अगले 15 वर्षों में विनिर्माण, नवाचार, सेवा आदि क्षेत्रों में 100 अरब डॉलर से अधिक का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। गोयल ने यह भी बताया कि ओमान के साथ व्यापार समझौता प्रगति पर है और अगले कुछ हफ़्तों में इसके संपन्न होने की संभावना है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए अमेरिका के साथ बातचीत कर रही है। गोयल ने ज़ोर देकर कहा, “आज की दुनिया में, हमारी आपूर्ति श्रृंखलाओं में लचीलापन, अनिश्चितता और अस्थिरता से निपटने की हमारी क्षमता, और समान विचारधारा वाले देशों के बीच साझेदारी, सहयोग और सहकारिता पर आधारित भविष्य की तैयारी हमारी सफलता की कहानी को परिभाषित करेगी। उन्होंने आगे कहा कि भारत सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और आने वाले दशकों में युवा महत्वाकांक्षी भारतीयों के समर्थन से ऐसा ही बना रहेगा। केंद्रीय मंत्री  ने भारत की मज़बूत विकास गाथा के तीन प्रमुख क्षेत्रों पर प्रकाश डाला, जिनमें संकट को अवसरों में बदलने की भारत की क्षमता शामिल है: आर्थिक विकास के लिए भारत का समावेशी दृष्टिकोण और सरकार का कार्य-उन्मुख दृष्टिकोण।
ओमान सल्तनत के वाणिज्य, उद्योग एवं निवेश संवर्धन मंत्रालय के विदेश व्यापार एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सलाहकार पंकज खिमजी ने कहा, “टैरिफ, शुल्क, उत्पाद शुल्क वास्तविक बाधाएँ नहीं हैं, बल्कि गैर-टैरिफ बाधाएँ ही वास्तविक बाधाएँ हैं जो मानकों, विनिर्देशों और छूटों से संबंधित हैं। हमें इन गैर-टैरिफ बाधाओं (एनटीबी) के प्रति उसी तरह सचेत रहने की आवश्यकता है जैसे हम टैरिफ बाधाओं के प्रति हैं। मेक्सिको के व्यापार समन्वय परिषद (सीसीई) के अध्यक्ष फ्रांसिस्को सर्वेंटेस डियाज़ ने कहा, “मेक्सिको और भारत के बीच आर्थिक साझेदारी निरंतर प्रासंगिक होती जा रही है। हमारे व्यापार प्रवाह में नए क्षेत्रों में विस्तार के अवसरों के साथ, मजबूत पूरकता दिखाई देती है। पेरिस के अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य मंडल (आईसीसी) के महासचिव जॉन डब्ल्यूएच डेंटन ने कहा, “वाणिज्य मंडलों, सरकारों और व्यवसायों को अनावश्यक व्यापार लागतों को कम करने और एमएसएमई को सशक्त बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
इन कदमों के लिए विश्व व्यापार संगठन में सुधार की आवश्यकता नहीं है; इनके लिए दृढ़ संकल्प और सही प्रणालियों को व्यवहार में लाने की आवश्यकता है। फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा, “आज, लचीलापन वैश्विक व्यापार की नई मुद्रा है। लचीलापन अनुकूलनशीलता, विविधीकरण और विश्वास पर आधारित है। फिक्की के उपाध्यक्ष विजय शंकर ने कहा, “आज फिक्की लीड्स में, हमने इस विषय पर विचारों का एक आकर्षक आदान-प्रदान देखा कि कैसे व्यवसाय और सरकारें वैश्विक व्यापार में अनिश्चितताओं से निपटते हुए लचीलापन, विश्वास और स्थायी साझेदारी को बढ़ावा दे सकती हैं।”
भारत में ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग के उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन ओएएम; यूके इंडिया बिजनेस काउंसिल के अध्यक्ष रिचर्ड हील्ड ने भी सत्र के दौरान अपने विचार साझा किए।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

National

spot_img

International

spot_img
RELATED ARTICLES