नई दिल्ली, 04 सितम्बर 2025 (यूटीएन)। केंद्गीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क 2025 जारी कर दी है। टॉप मेडिकल कॉलेजों की रैंकिंग में एम्स दिल्ली लगातार पहले नंबर पर बना हुआ है, जबकि पीजीआईएमईआर ,चंड़ीगढ़ फिर से दूसरे नंबर पर बरकरार है।
दरअसल, भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय हर साल देश के टॉप कॉलेजों की रैंकिंग जारी करता है। 29 सितंबर 2015 को मानव संसाधन विकास मंत्री ने इसकी शुरुआत की थी। यह रैंकिंग्स टीचिंग, लर्निंग, रिसर्च, ग्रेजुएशन रिजल्ट्स, आउटरीच और धारणा जैसे पैरामीटर्स के आधार पर जारी की जाती है।
*आईआईटी मद्रालगातार सातवें वर्ष नंबर-1*
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास ने ओवरऑल कैटिगरी में लगातार सातवें वर्ष 2019 से लेकर 2025 तक देश का बेस्ट उच्च शिक्षा संस्थान होने का गौरव हासिल किया है।

*संस्थानों को मिले नेगेटिव मार्क्स: सुकांता मजूमदार*
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांता मजूमदार ने कहा कि इंडिया रैंकिंग भारतीय उच्च संस्थानों की कामयाबी का वार्षिक समारोह है। एकेडेमिक इकोसिस्टम में लगातार सुधार की प्रक्रिया को यह सिस्टम आगे बढ़ाता है। उच्च शिक्षा में सुधारों को आगे बढ़ाने में भी यह प्रयास कारगर साबित हो रहा है। भारत में सबसे बड़ा हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस का इकोसिस्टम है। 4.4 करोड़ छात्र उच्च शिक्षा सिस्टम में है और 16 लाख टीचर्स है।
उन्होंने कहा कि क्वॉलिटी, इनोवेशन और ग्लोबल प्रतिस्पर्धा पर अब खास ध्यान दिया जा रहा है। 9 कैटिगरी और 8 डोमेन में दी जाने वाली रैंकिंग में सभी तरह के उच्च शिक्षा संस्थान को शामिल किया जा रहा है। इसमें 14,163 संस्थानों की भागीदारी रही है और 7692 यूनीक HEIs हैं। रिसर्च पब्लिकेशन को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि इस बार नेगेटिव मार्किंग देना भी शुरू किया गया है।
*रैंकिंग बताती है किस क्षेत्र में कौन सा संस्थान बेहतर: विनीत जोशी*
शिक्षा मंत्रालय में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव विनीत जोशी ने कहा कि इंडिया रैंकिंग के जरिए संस्थानों की प्रगति की नियमित रूप से निगरानी हो पाती है। लगातार सुधार की प्रक्रिया भी चलती रहती है। टीचिंग क्वालिटी, रिसर्च पब्लिकेशन में भी इससे सुधार हुआ है और लगातार सुधार हो रहा है। संस्थानों का इस रैंकिंग सिस्टम में विश्वास बढ़ रहा है। इस सिस्टम में पारदर्शिता पर सभी का भरोसा है।
डेटा को लेकर कुछ सवाल होते हैं तो संस्थानों से इस बारे में जानकारी भी मांगी जाती है। अब भारतीय संस्थान इंटरनेशनल रैंकिंग में भी जगह बना रहे हैं और उनकी संख्या बढ़ रही है। इंडिया रैंकिंग का मकसद छात्रों को उच्च शिक्षा संस्थानों के सभी पक्षों के बारे में जानकारी देना होता है। कौन से एरिया में कौन सा संस्थान बेहतर है, यह छात्रों को अच्छी तरह से पता चलता है। संस्थानों में प्रतियोगिता की भावना भी बढ़ती है ताकि अगली बार वे सुधार कर सकें। ग्लोबल लेवल पर रिसर्च व इनोवेशन में और बेहतर करना है।
*नकल करने वाले रैंकिंग से बाहर होंगे: अनिल सहस्त्रबुद्धे*
नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटेशन व नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलोजी फोरम (एनईटीएफ) के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि 2015 में एक कमिटी बनाकर 5 मेजर पैरामीटर से यह रैकिंग शुरू की गई। 2016 में पहली रैंकिंग जारी की गई। अब दस साल पूरे हो गए हैं। समय के साथ कुछ बदलाव होते गए। रैंकिंग का सबसे पारदर्शी प्रोसेस है। सब संस्थानों का डेटा वेबसाइट पर भी है। विश्व में कहीं भी ऐसा सिस्टम नहीं है।
*पहली बार शुरू हुई नेगेटिव मार्किंग*
बता दें कि एनआईआरएफ रैंकिंग 2025 की लिस्ट 9 कैटिगरी और 8 डोमेन में दी गई है। इसमें सभी तरह के उच्च शिक्षा संस्थान को शामिल किया जाता है। इस बार 14163 संस्थानों की भागीदारी रही है और 7692 यूनीक उच्च शिक्षा संस्थान हैं। रिसर्च पब्लिकेशन को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है और यही कारण है कि इस बार नेगेटिव मार्किंग देना भी शुरू किया गया है। नेगेटिव मार्किंग की वेटेज बढ़ाएंगे और नकल करने वालों को रैकिंग प्रोसेस से भी बाहर करेंगे।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।