नई दिल्ली, 04 सितम्बर 2025 (यूटीएन)। पीएम मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से जीएसटी पर दिवाली के लिए गिफ्ट देने का जो ऐलान किया था, सरकार ने उसकी घोषणा कर दी है. इस तरह सरकार ने डेढ़ महीने पहले ही मिडिल क्लास की हैप्पी दिवाली कर दी. सरकार के इस फैसले से आपके रोजमर्रा की कई चीजें सस्ती हो गई हैं.सस्ते महंगे की वो लिस्ट सामने आ गई है, जिसके लिए अक्सर आपको बजट ऐलानों का इंतजार रहता है. दरअसल सरकार ने जीएसटी रिफॉर्म का बड़ा ऐलान कर दिया है. इस रिफॉर्म में छात्रों, किसानों, मिडिल क्लास, हाउस वाइफ सबको कुछ न कुछ मिला है.
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सरकार ने माल एवं सेवा कर यानी जीएसटी स्लैब में बड़ा बदलाव कर दिया है. काउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों ने आम सहमति से जीएसटी की सिर्फ दो दरों, 5 और 18 फीसदी को मंजूरी दी। जीएसटी के इस बड़े फैसले से शेयर बाजार में बृहस्पतिवार को तेजी दिख सकती है। वहीं जीएसटी 2.0 के तहत सरकारी खजाने को सालाना औसतन 85,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। मौजूदा वक्त में जीएसटी के 4 स्लैब हैं, जिसे घटाकर 2 कर दिया गया है. अब सिर्फ दो टैक्स स्लैब 5 और 18 फीसदी होंगे. हालांकि लग्जरी आइटम्स के लिए 40 फीसदी का भी एक स्लैब रहेगा. सरकार ने 12 फीसदी और 28 फीसदी वाले जीएसटी स्लैब को खत्म कर दिया है. नई जीएसटी दरें नवरात्र के पहले दिन यानी 22 सितंबर से लागू होगी. यानी 22 सितंबर से कई चीजें सस्ती हो जाएगी.

*पहली बार सस्ती होगी ये चीजें*
सबसे खास बात है कि साल 2017 के पहली बार है, जब जीएसटी स्लैब में इस तरह का बड़ा बदलाव हो रहा है. पहली बार है जब हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस को जीरो जीएसटी में रखा गया. दवाओं और स्टेशनरी को टैक्स फ्री किया गया, चॉकलेट, पेस्ट्री, आइसक्रीम, ब्रांडेड मिठाईयों पर जीएसटी कटौती कर उसे 5 फीसदी के दायरे में रखा गया. रोटी, खाखरा, चपाती, पिज्जा ब्रेड, पराठे पर पहली बार जीएसटी टैक्स में कटौती की गई. कपड़े और जूते जैसे ब्रांडेड चीजों पर 2017 के बाद पहली बार कीमतें कम हो रही है. इसी तरह से एटी, 32 इंच से बड़े टीवी, मोबाइल फोन , फ्रीज, वॉशिंग मशीन 2017 के बाद पहली बार टैक्स कटौती की वजह से सस्ती हो रही है.
*मिडिल क्लास को सस्ता इलाज * हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर खत्म*
लंबे वक्त से जिस फैसले का लोगों को इंतजार था, वो आखिरकार आज पूरी हो गई. सरकार ने लोगों को बड़ी राहत देते हुए हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस से जीएसटी को पूरी तरह से खत्म कर दिया. अब तक इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18 फीसदी का जीएसटी लग रहा था, लेकिन अब इसे खत्म कर जीरो जीएसटी के दायरे में शामिल कर दिया गया है.Zero GST का मतलब है कि अब हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा. इसी तरह से सरकार ने 33 जीवनरक्षा दवाओं को भी जीरो जीएसटी में शामिल किया है. इसके अलावा यूएचटी दूध, छेना, पनीर, पेंसिल, कटर, रबर, नोटबुक को टैक्स फ्री कर दिया गया. रोटी, पराठा, पिज्जा ब्रेड भी टैक्स फ्री हो गए हैं.
*हाउस वाइफ के किचन में बचत * खाने-पीने से लेकर घर के सामान होंगे सस्ते*
सरकार ने अधिकांश खाने-पीने और घर के सामानों को 5 फीसदी वाले जीएसटी के दायरे में रखा है. शैंपू, तेल, साबुन से लेकर पास्ता, नमकीन, कॉफी, नूडल्स ,चॉकलेट, बिस्कुट से लेकर पेस्ट्री, मिठाइयां और आइस्क्रीम जैसी चीजें सस्ती हो जाएंगी. घी, तेल, चीनी, चाय खरीदारी में अब आपके पैसे बचने वाले हैं. इसके अलावा 1000 रुपये के अधिक के ब्रांडेड कपड़े, जूते सस्ते हो जाएंगे. इसके अलावा एसी, टीवी, डिशवॉशर, मोबाइल फोन, रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन पर टैक्स घटने से कीमतों में कमी आ जाएगी. छोटी कार से लेकर टू व्हीलर्स तक सस्ते हो जाएंगे. सीमेंट, पेंट, स्टील, टाइल्स पर जीएसटी घटने से घर बनाना सस्ता हो जाएगा.

*छात्रों के लिए सस्ती हुई पढ़ाई की चीजें*
सरकार ने स्टूडेंट्स के लिए भी जीएसटी रिफॉर्म में तोहफा दिया है. मैप, चार्जट ग्लोब, पेंसिल, सापनर, क्रेयॉन्स, पेस्टल, किताबें, नोटबुक, रबर जैसी पढ़ाई-लिखाई की चीजें सस्ती कर दी. इनपर पर पहले 12 फीसदी का जीएसटी लगता था, जबकि रबर पर 5 फीसदी जीएसटी लगता था. इसे कम कर अब जीरो कर दिया गया है.
*हाउसवाइफ का भी रखा ध्यान*
हाउस वाइफ के लिए सिलाई मशीन से लेकर उसके पार्ट्स पर टैक्स घटा दिया गया है. सरकार ने इसपर जीएसटी की दरों को 12 फीसदी से कम कर 5 फीसदी कर दिया है. इसके अवाला, घर, रसोई, पर्सनल केयर, पर्सनल हाइजीन घी, तेल, डेयरी प्रोडक्ट्स जैसी चीजें सस्ती कर दी. इनपर कटौती की गई.
*किसानों को दी राहत की सांस*
किसानों को राहत देते हुए सरकार ने टैक्टर टायर्स, पार्ट्स पर जीएसटी को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है. वहीं टैक्टर पर जीएसटी 12 फीसदी से कम कर 5 फीसदी हो गया. खाद, कीटनाशकों पर टैक्स घटा लिया गया है. खेती बाड़ी की मशीने, सिंचाई के सामन पर जीएसटी कम कर 5 फीसदी कर दिया गया है.
*आम आदमी का जीवन आसान: पीएम मोदी*
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नए जीएसटी रिफॉर्म को ऐतिहासिक बताया है. उन्होंने कहा कि कि नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी सुधार आम आदमी की जिंदगी आसान बनाएंगे और अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेंगे.

*पीएम मोदी का एक्स पोस्ट*
पीएम मोदी ने एक्स पोस्ट में कहा कि अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान मैंने जीएसटी में अगली पीढ़ी के सुधार लाने के हमारे इरादे के बारे में बात की थी. केंद्र सरकार ने व्यापक जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने और प्रक्रियागत सुधारों के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया था, जिसका उद्देश्य आम आदमी के जीवन को आसान बनाना और अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है.
*छोटे व्यापारियों को मिलेगा लाभ*
पीएम ने कहा कि यह बताते हुए खुशी हो रही है कि जीएसटी काउंसिल, जिसमें केंद्र और राज्य शामिल हैं, ने सामूहिक रूप से केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी दरों में कटौती और सुधारों पर प्रस्तुत प्रस्तावों पर सहमति व्यक्त की है, जिससे आम आदमी, किसानों, एमएसएमई, मध्यम वर्ग, महिलाओं और युवाओं को लाभ होगा. व्यापक सुधार हमारे नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाएंगे और सभी के लिए, विशेष रूप से छोटे व्यापारियों और व्यवसायों के लिए व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित करेंगे.
*शेयर बाजार पर दिखेगा सकारात्मक असर*
जीएसटी बदलावों को लेकर विश्लेषकों का मानना है, लंबे समय से तय दायरे में कारोबार कर रहा बाजार अभी से दिवाली तक तेजी में रह सकता है। जो तेजी अक्तूबर में आनी थी, वह अब सितंबर से शुरू हो सकती है। घरेलू शेयर बाजारों ने इस साल निवेशकों को निराश किया है, अभी तक सिर्फ दो फीसदी का फायदा दिया है।
*1.98 लाख करोड़ की बढ़ेगी खपत*
एसबीआई रिसर्च के मुताबिक, जीएसटी 2.0 के तहत सरकारी खजाने को सालाना औसतन 85,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। पर, इससे खपत में 1.98 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। वहीं, जेफरीज व माॅर्गन स्टैनली का आकलन है कि 2.4 लाख करोड़ की अतिरिक्त मांग बढ़ सकती है। खपत बढ़ने से खुदरा महंगाई में कोई इजाफा नहीं होगा, क्योंकि जीएसटी 2.0 में व्यापक उपभोग की वस्तुओं पर कर कम होंगे। जरूरी वस्तुओं (खाद्य व कपड़ा) पर जीएसटी 12 फीसदी से घटकर पांच फीसदी होने से इस श्रेणी में खुदरा महंगाई 0.15 फीसदी तक कम हो सकती है। जीएसटी और आयकर दरों में कटौती को मिलाकर उपभोग खर्च में 5.31 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त वृद्धि होगी। यह जीडीपी का करीब 1.6 फीसदी है।
*48,000 करोड़ में से 43,000 करोड़ की रिकवरी*
अनुमान है कि स्लैब घटने से 2023-24 के आधार पर 48,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। हालांकि, लग्जरी व तंबाकू जैसे पदार्थों पर 40 फीसदी के टैक्स से 43,000 करोड़ रुपये की कमाई बढ़ेगी। शुद्ध घाटा 5,000 करोड़ रुपये ही होगा। एसबीआई रिसर्च का अनुमान है, अल्पकालिक दबावों के बावजूद राज्यों को शुद्ध लाभ होगा। राज्य जीएसटी में कम-से-कम 10 लाख करोड़ मिलेंगे। साथ ही, हस्तांतरण के जरिये भी 4.1 लाख करोड़ रुपये की रकम मिलेगी। इस तरह, राज्यों को कुल 14.1 लाख करोड़ से अधिक राजस्व मिलने का अनुमान है।
हिमाचल, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और प. बंगाल सहित आठ विपक्षी शासित राज्यों का 1.5 से 2 लाख करोड़ रुपये के संभावित नुकसान का अनुमान है। प्रभावी भारित औसत जीएसटी दर 2017 के 14.4 फीसदी से घटकर 2019 में 11.6 फीसदी रह गई थी। अब 9.5 फीसदी हो सकती है। पहले के सुधारों से पता चलता है कि शुरुआत में राजस्व में गिरावट आई, फिर जोरदार उछाल आया।
*सात दिन में पूरी होगी रिफंड की प्रक्रिया*
जीएसटी परिषद ने महत्वपूर्ण फैसले में सात दिन में रिफंड की प्रक्रिया पूरी करने को मंजूरी दी है। निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, इससे निर्यातकों पर नकदी का दबाव बेहद कम हो जाएगा। समय पर और पूर्वानुमानित रिफंड भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। खासकर जब वैश्विक मांग अनिश्चित है। n1,000 रुपये से कम के जीएसटी रिफंड से ई-कॉमर्स निर्यातकों को काफी लाभ होगा।
*मौजूदा ई-वे बिल वैध*
सरकार ने स्पष्ट किया कि सीजीएसटी एक्ट-2017 के नियम 138 के मुताबिक, नई दरें लागू होने पर ई-वे बिल रद्द करने और नए सिरे से तैयार करने की अनिवार्यता नहीं है। मौजूदा ई-वे बिल वैध बने रहेंगे। हालांकि, दर में बदलाव लागू होने के दिन से पहले के स्टॉक पर संशोधित दर लागू होंगी। सरकार ने बताया कि जीएसटी आपूर्ति पर लगता है। संशोधित अधिसूचना के दिन या उसके बाद आपूर्ति वस्तुओं पर नई दरें लगेंगी।
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, हमने शुल्क ढांचे की समस्याएं ठीक की हैं, वर्गीकरण संबंधी मुद्दों को सुलझाया है। अब मुआवजा, पंजीकरण को सरल बनाने, रिटर्न व रिफंड के मुद्दों पर ध्यान देंगे।
*वाहन, इलेक्ट्रॉनिक व एफएमसीजी की होगी भारी बिक्री*
विश्लेषक मानते हैं कि जिन लोगों ने जीएसटी सुधार के कारण खरीदी टाल दी थी, वे अब इस महीने के अंत से दिवाली तक जमकर खरीदी करेंगे। इसमें ज्यादातर दोपहिया वाहन, चार पहिया वाहन, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक सामान और एफएमसीजी के खास उत्पाद हो सकते हैं। अक्तूबर व नवंबर में इनकी बिक्री से दिसंबर में भी जीएसटी संग्रह मजबूत रहेगा। अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी और तीसरी तिमाही के जब जीडीपी के आंकड़े आएंगे, तो इनका योगदान दिखेगा। एफएमसीजी कंपनियाें ने भी तैयारी शुरू कर दी है। 22 सितंबर के बाद जो भी उत्पाद बाजार में आएंगे, वे सस्ते मिलेंगे।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।