Wednesday, October 8, 2025

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सरकार आयुष एकीकरण को मज़बूत करने के लिएप्रतिबद्ध: प्रतापराव जाधव

बेहतर स्वास्थ्य अवसंरचना के निर्माण के लिए व्यापक एसओपी विकसित करना, लोगों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ प्रदान करना और आधुनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ आयुष का एकीकरण सुनिश्चित करना है।

नई दिल्ली, 04 सितम्बर (यूटीएन)। केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने आज अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, सरिता विहार, नई दिल्ली में ‘राष्ट्रीय आयुष मिशन और राज्यों में क्षमता निर्माण’ पर विभागीय शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद कुमार पॉल और आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा भी उपस्थित थे। इस अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री जाधव ने राज्य-विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप एक सुदृढ़ और समावेशी स्वास्थ्य सेवा ढाँचा बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर बल दिया। जाधव ने देश भर में स्वास्थ्य सेवा वितरण को बेहतर बनाने के लिए व्यापक मानक संचालन प्रक्रियाएँ (एसओपी) विकसित करने के सरकार के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य राज्य-विशिष्ट ढाँचा तैयार करना, बेहतर स्वास्थ्य अवसंरचना के निर्माण के लिए व्यापक एसओपी विकसित करना, लोगों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ प्रदान करना और आधुनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ आयुष का एकीकरण सुनिश्चित करना है।
प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में 2014 में अपनी स्थापना के बाद से राष्ट्रीय आयुष मिशन की प्रगति पर विचार करते हुए मंत्री ने कहा कि इस मिशन ने किफायती और समावेशी आयुष स्वास्थ्य सेवाओं को उल्लेखनीय रूप से उन्नत किया है। उन्होंने विशेष रूप से पूरे भारत में 12,500 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थापना की परिवर्तनकारी पहल पर प्रकाश डाला, जो ओपीडी-आधारित सेवाओं से निवारक और प्रोत्साहनकारी स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक समग्र सेवा वितरण मॉडल की ओर एक आदर्श बदलाव का प्रतीक है। उन्होंने आगे बताया कि 4 मार्च, 2024 को मंत्रालय ने आयुष स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए भारतीय जन स्वास्थ्य मानक (आईपीएचएस) शुरू किए। नीति आयोग और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) के परामर्श से विकसित ये मानक, आयुष अवसंरचना, मानव संसाधन, क्षमता निर्माण, औषधियों, गुणवत्ता आश्वासन, नैदानिक ​​परीक्षणों और ब्रांडिंग में एकरूपता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में एक मील का पत्थर हैं।
इस अवसर पर जाधव ने घोषणा की कि आयुर्वेद दिवस अब हर साल 23 सितंबर को मनाया जाएगा, और इस वर्ष इसकी 10वीं वर्षगांठ “लोगों और ग्रह के लिए आयुर्वेद” थीम के तहत मनाई जाएगी। यह थीम पारिस्थितिक स्थिरता सुनिश्चित करते हुए व्यक्तिगत कल्याण को बढ़ावा देने में आयुर्वेद की प्रासंगिकता को रेखांकित करती है। उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आयुर्वेद दिवस को एक वैश्विक स्वास्थ्य पहल के रूप में विकसित करने के लिए सक्रिय रूप से भाग लेने और सामूहिक रूप से कार्य करने का आग्रह किया। संस्थागत विकास के मोर्चे पर, मंत्री ने आयुष से संबंधित बीमा मामलों में हितधारकों की सहायता के लिए अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में परियोजना प्रबंधन इकाई (पीएमयू) के संचालन की घोषणा की। यह पीएमयू बीमा तंत्र के माध्यम से आयुष उपचार तक पहुँच को सुगम बनाने के लिए एक समर्पित इंटरफ़ेस के रूप में कार्य करेगा।
उन्होंने एआईआईए में ‘आयुर्विद्या उन्नत केंद्र’ का भी उद्घाटन किया – जो आयुर्वेद शिक्षा और संचार के लिए समर्पित एक अग्रणी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है। इस केंद्र का उद्देश्य विशेषज्ञों द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों, लाइव वेबिनार और इंटरैक्टिव सत्रों के माध्यम से आयुर्वेद शिक्षा का लोकतंत्रीकरण करना है। इस पहल से आयुष क्षेत्र में क्षमता निर्माण, सतत व्यावसायिक विकास और नवाचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने आयुष शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, स्वस्थ भारत के निर्माण में आयुष क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह शिखर सम्मेलन देश भर में पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत करने पर विचार-विमर्श करने के लिए हितधारकों और राज्य सरकारों को एक मंच पर लाता है। उन्होंने स्वीकार किया कि विकसित भारत @2047 का विज़न केवल एक स्वस्थ और उत्पादक जनसंख्या के माध्यम से ही साकार हो सकता है, और कहा, “स्वास्थ्य राष्ट्रीय विकास के लिए एक सक्षमकर्ता और मील का पत्थर दोनों है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में क्षय रोग, कुष्ठ रोग, लसीका फाइलेरिया, खसरा, कालाजार और रूबेला जैसी बीमारियों के उन्मूलन के लिए किए गए केंद्रित प्रयासों के साथ, गंभीर बीमारियों से निपटने और सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत की महत्वपूर्ण प्रगति का उल्लेख किया। डॉ. पॉल ने आधुनिक और पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को शामिल करते हुए एक व्यापक, एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से जीवन प्रत्याशा को वर्तमान 71 वर्ष से बढ़ाकर 85 वर्ष या उससे अधिक करने के महत्व पर बल दिया। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, उन्होंने राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) के बेहतर कार्यान्वयन, आयुष चिकित्सा शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, स्वास्थ्य और चिकित्सा मूल्य पर्यटन को बढ़ावा देने और आयुष निजी क्षेत्र और प्रशिक्षित कार्यबल की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने सहित प्रमुख कार्य बिंदुओं को रेखांकित किया। उन्होंने बेहतर राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिणामों के लिए आयुष को मुख्यधारा में लाने के लिए सामूहिक और निरंतर प्रयासों का आह्वान किया।
सचिव, वैद्य राजेश कोटेचा ने ‘हर घर आयुर्योग’ पहल – आयुष और योग का मिश्रण – को हर घर तक पहुँचाने की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि यह एक स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि छह प्रमुख उप-विषयों पर आधारित दो दिवसीय शिखर सम्मेलन का उद्देश्य व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से इस एकीकरण को आगे बढ़ाना है और यह आयुष के प्रभावी कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
*नीतियाँ*
इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों से प्राप्त राज्य-विशिष्ट नोट्स और फीडबैक नोट्स पर विस्तृत चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करना है, जिसमें जमीनी स्तर के इनपुट भी शामिल हैं। इस सहभागी दृष्टिकोण का उद्देश्य राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) को मज़बूत और रणनीतिक रूप से विस्तारित करना है – यह एक प्रमुख कार्यक्रम है जो आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा रिग्पा और होम्योपैथी प्रणालियों को एकीकृत करके समग्र स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देता है।राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ नौकरशाहों ने इसमें भाग लिया और आवंटित विषयों पर अपने निष्कर्ष और जमीनी स्तर के हितधारकों से एकत्रित राज्य-विशिष्ट और फीडबैक नोट्स प्रस्तुत किए।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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सरकार आयुष एकीकरण को मज़बूत करने के लिएप्रतिबद्ध: प्रतापराव जाधव

बेहतर स्वास्थ्य अवसंरचना के निर्माण के लिए व्यापक एसओपी विकसित करना, लोगों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ प्रदान करना और आधुनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ आयुष का एकीकरण सुनिश्चित करना है।

नई दिल्ली, 04 सितम्बर (यूटीएन)। केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने आज अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, सरिता विहार, नई दिल्ली में ‘राष्ट्रीय आयुष मिशन और राज्यों में क्षमता निर्माण’ पर विभागीय शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद कुमार पॉल और आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा भी उपस्थित थे। इस अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री जाधव ने राज्य-विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप एक सुदृढ़ और समावेशी स्वास्थ्य सेवा ढाँचा बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर बल दिया। जाधव ने देश भर में स्वास्थ्य सेवा वितरण को बेहतर बनाने के लिए व्यापक मानक संचालन प्रक्रियाएँ (एसओपी) विकसित करने के सरकार के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य राज्य-विशिष्ट ढाँचा तैयार करना, बेहतर स्वास्थ्य अवसंरचना के निर्माण के लिए व्यापक एसओपी विकसित करना, लोगों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ प्रदान करना और आधुनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ आयुष का एकीकरण सुनिश्चित करना है।
प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में 2014 में अपनी स्थापना के बाद से राष्ट्रीय आयुष मिशन की प्रगति पर विचार करते हुए मंत्री ने कहा कि इस मिशन ने किफायती और समावेशी आयुष स्वास्थ्य सेवाओं को उल्लेखनीय रूप से उन्नत किया है। उन्होंने विशेष रूप से पूरे भारत में 12,500 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थापना की परिवर्तनकारी पहल पर प्रकाश डाला, जो ओपीडी-आधारित सेवाओं से निवारक और प्रोत्साहनकारी स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक समग्र सेवा वितरण मॉडल की ओर एक आदर्श बदलाव का प्रतीक है। उन्होंने आगे बताया कि 4 मार्च, 2024 को मंत्रालय ने आयुष स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए भारतीय जन स्वास्थ्य मानक (आईपीएचएस) शुरू किए। नीति आयोग और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) के परामर्श से विकसित ये मानक, आयुष अवसंरचना, मानव संसाधन, क्षमता निर्माण, औषधियों, गुणवत्ता आश्वासन, नैदानिक ​​परीक्षणों और ब्रांडिंग में एकरूपता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में एक मील का पत्थर हैं।
इस अवसर पर जाधव ने घोषणा की कि आयुर्वेद दिवस अब हर साल 23 सितंबर को मनाया जाएगा, और इस वर्ष इसकी 10वीं वर्षगांठ “लोगों और ग्रह के लिए आयुर्वेद” थीम के तहत मनाई जाएगी। यह थीम पारिस्थितिक स्थिरता सुनिश्चित करते हुए व्यक्तिगत कल्याण को बढ़ावा देने में आयुर्वेद की प्रासंगिकता को रेखांकित करती है। उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आयुर्वेद दिवस को एक वैश्विक स्वास्थ्य पहल के रूप में विकसित करने के लिए सक्रिय रूप से भाग लेने और सामूहिक रूप से कार्य करने का आग्रह किया। संस्थागत विकास के मोर्चे पर, मंत्री ने आयुष से संबंधित बीमा मामलों में हितधारकों की सहायता के लिए अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में परियोजना प्रबंधन इकाई (पीएमयू) के संचालन की घोषणा की। यह पीएमयू बीमा तंत्र के माध्यम से आयुष उपचार तक पहुँच को सुगम बनाने के लिए एक समर्पित इंटरफ़ेस के रूप में कार्य करेगा।
उन्होंने एआईआईए में ‘आयुर्विद्या उन्नत केंद्र’ का भी उद्घाटन किया – जो आयुर्वेद शिक्षा और संचार के लिए समर्पित एक अग्रणी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है। इस केंद्र का उद्देश्य विशेषज्ञों द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों, लाइव वेबिनार और इंटरैक्टिव सत्रों के माध्यम से आयुर्वेद शिक्षा का लोकतंत्रीकरण करना है। इस पहल से आयुष क्षेत्र में क्षमता निर्माण, सतत व्यावसायिक विकास और नवाचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने आयुष शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, स्वस्थ भारत के निर्माण में आयुष क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह शिखर सम्मेलन देश भर में पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत करने पर विचार-विमर्श करने के लिए हितधारकों और राज्य सरकारों को एक मंच पर लाता है। उन्होंने स्वीकार किया कि विकसित भारत @2047 का विज़न केवल एक स्वस्थ और उत्पादक जनसंख्या के माध्यम से ही साकार हो सकता है, और कहा, “स्वास्थ्य राष्ट्रीय विकास के लिए एक सक्षमकर्ता और मील का पत्थर दोनों है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में क्षय रोग, कुष्ठ रोग, लसीका फाइलेरिया, खसरा, कालाजार और रूबेला जैसी बीमारियों के उन्मूलन के लिए किए गए केंद्रित प्रयासों के साथ, गंभीर बीमारियों से निपटने और सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत की महत्वपूर्ण प्रगति का उल्लेख किया। डॉ. पॉल ने आधुनिक और पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को शामिल करते हुए एक व्यापक, एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से जीवन प्रत्याशा को वर्तमान 71 वर्ष से बढ़ाकर 85 वर्ष या उससे अधिक करने के महत्व पर बल दिया। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, उन्होंने राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) के बेहतर कार्यान्वयन, आयुष चिकित्सा शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, स्वास्थ्य और चिकित्सा मूल्य पर्यटन को बढ़ावा देने और आयुष निजी क्षेत्र और प्रशिक्षित कार्यबल की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने सहित प्रमुख कार्य बिंदुओं को रेखांकित किया। उन्होंने बेहतर राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिणामों के लिए आयुष को मुख्यधारा में लाने के लिए सामूहिक और निरंतर प्रयासों का आह्वान किया।
सचिव, वैद्य राजेश कोटेचा ने ‘हर घर आयुर्योग’ पहल – आयुष और योग का मिश्रण – को हर घर तक पहुँचाने की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि यह एक स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि छह प्रमुख उप-विषयों पर आधारित दो दिवसीय शिखर सम्मेलन का उद्देश्य व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से इस एकीकरण को आगे बढ़ाना है और यह आयुष के प्रभावी कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
*नीतियाँ*
इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों से प्राप्त राज्य-विशिष्ट नोट्स और फीडबैक नोट्स पर विस्तृत चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करना है, जिसमें जमीनी स्तर के इनपुट भी शामिल हैं। इस सहभागी दृष्टिकोण का उद्देश्य राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) को मज़बूत और रणनीतिक रूप से विस्तारित करना है – यह एक प्रमुख कार्यक्रम है जो आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा रिग्पा और होम्योपैथी प्रणालियों को एकीकृत करके समग्र स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देता है।राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ नौकरशाहों ने इसमें भाग लिया और आवंटित विषयों पर अपने निष्कर्ष और जमीनी स्तर के हितधारकों से एकत्रित राज्य-विशिष्ट और फीडबैक नोट्स प्रस्तुत किए।
विशेष- संवाददाता, (प्रदीप जैन)।

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