मथुरा,20 जुलाई 2025 (यूटीएन)। यहां लगभग 4800 साल पुरानी गणेश्वर सभ्यता के बर्तन मिले तो साथ ही लगभग तीन हजार साल पुरानी शिव पार्वती की प्रतिमा भी मिली। ऐसे प्रमाण भी मिले जिन्हें महाभारत काल से जोड़ा जा जा रहा है। हालांकि ASI इस काल की पुष्टि नहीं करता है। सबसे अहम है कि यहां आदिमानव के अस्तित्व के प्रमाण मिले हैं। इस खुदाई में एक लुप्त नदी का चैनल मिला है जो बेहद अहम माना जा रहा है। इसे सरस्वती की लुप्त धारा भी माना जा रहा है, लेकिन पुरातत्वविद इस पर फिलहाल मुहर नहीं लगा रहे हैं।
गोवर्धन पर्वत की तलहटी में बसे डीग के गांव बहज में चल रही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ASI की खुदाई में पता चला है कि इस क्षेत्र में आदिमानव घूमते रहे हैं। यहां पत्थर से निकले फ्लेक्स पहाड़ियों से बनाए गए औजार मिले हैं जिन्हें पाषाण काल का माना जा रहा है। इसके अलावा अन्य कई संस्कृतियों की प्रमाण भी मिले हैं। डेढ़ साल तक खुदाई के बाद अब यह साइट बंद करते हुए इसमें मिट्टी भर दी गई है।
सभी सैंपल कार्बन डेटिंग के लिए भेज दिए गए हैं ताकि सटीक निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके। डेढ़ साल पहले बहज गांव के टीले पर खुदाई शुरू हुई थी। इस टीले को पुरातत्वविद गोवर्धन का ही हिस्सा मानते हैं। जैसे-जैसे खुदाई आगे बढ़ती गई, पुरातत्वविदों की आंखें चमकती गईं। उनका कहना है कि सबसे पहले यह पता चले कि वास्तव में यह कब सूखी। चूंकि जिस नदी को सरस्वती कहा गया है वह हड़प्पा काल तक थी।